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Happy Mother’s Day 2023: मशहूर शायरों की इन शायरी के जरिए मां को बताएं कि आप उनसे कितना प्‍यार करते हैं…

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इस दुनिया में आपके जितने भी रिश्‍ते हैं, उन सभी रिश्‍तों में सबसे पुराना रिश्‍ता मां होती है क्‍योंकि मां के साथ एक बच्‍चे का संबन्‍ध गर्भ में आने के साथ ही जुड़ जाता है. बच्‍चे के गर्भ में आते ही एक महिला अपने बच्‍चे की फिक्र करने में लग जाती है और जन्‍म के बाद मां के रूप में बच्‍चे की पहली पाठशाला बनती है. बच्‍चे के खाने-पीने, पढ़ने-लिखने से लेकर उठने-बैठने के तौर तरीके तक, हर चीज एक बच्‍चा सबसे ज्‍यादा अपनी मां से सीखता है. बच्‍चे की खुशी के लिए मां पूरे जीवन में न जाने कितने त्‍याग करती है. ख्‍वाहिश बस इतनी होती है कि बच्‍चा काबिल बन जाए ताकि उसके जीवन में सारी खुशियां उसके पास हों.

अपनी जिन्‍दगी को भुलाकर बच्‍चे की खातिर जीवन जीने वाली उस मां को हम कभी शुक्रिया तक नहीं कहते. मदर्स डे (Mother’s Day) का दिन खासतौर पर मां का दिन है. इस बार 14 मई रविवार को मदर्स डे मनाया जा रहा है. आप जो मां से आज तक नहीं कह पाए हैं, वो इस खास दिन पर मां से कह सकते हैं. मां के लिए कुछ ऐसा कर सकते हैं जो उन्‍हें बेहद खुशी और सुकून दे. अगर आप मां से दूर बैठे हैं तो मां को ऐसे मैसेज भेज सकते हैं, जो उनके दिल को छू जाएं. यहां जानिए मशहूर शायरों की ऐसी ही कुछ शायरी (Mother’s Day 2023 Shayari) जो मां के प्रति आपकी भावनाओं को बहुत अच्‍छी तरह व्‍यक्‍त कर सकती हैं.

– लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती, बस एक मां है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती.  – मुनव्वर राणा

–  इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है, मां बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है.  – मुनव्वर राणा

– अभी जिन्दा है मां मेरी, मुझे कुछ भी न होगा,  मैं जब भी घर से निकलता हूं, दुआ मेरे साथ चलती है.  -मुनव्वर राणा

– मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आंसू, मुद्दतों मां ने नहीं धोया दुपट्टा अपना.  -मुनव्वर राणा

– भारी बोझ पहाड़ सा कुछ हल्का हो जाए, जब मेरी चिंता बढ़े और मां मेरे सपने में आए.  -अख्तर नज्मी

– मैं रोया परदेस में भीगा मां का प्यार, दुख ने दुख से बात की, बिन चिट्ठी, बिन तार.  – निदा फाजली

– देखा करो कभी अपनी मां की आंखों में, ये वो आईना है जिसमें बच्चे कभी बूढ़े नहीं होते! – अज्ञात

– इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है, मां बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है.  -मुनव्वर राणा

– वो लम्हा जब मेरे बच्चे ने मां पुकारा मुझे मैं एक शाख़ से कितना घना दरख़्त हुई.   -हुमैरा रहमान

– मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आंसू, मुद्दतों मां ने नहीं धोया दुपट्टा अपना  -मुनव्वर राणा

– मैंने इक बार कहा था मुझे डर लगता है, एक मुद्दत से मेरी मां नहीं सोई ‘ताबिश’.  -अब्बास ताबिश

– किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई, मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में मां आई.  -मुनव्वर राणा

– मुर्ग़े की आवाज़ से खुलती घर की कुंडी जैसी मां, बेसन की सोंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी मां.  -निदा फाजली

– हम गरीब थे, ये बस हमारी मां जानती थी, हालात बुरे थे मगर अमीर बनाकर रखती थी.  -मुनव्वर राना

–  उन बूढ़ी बुजुर्ग उंगलियों में कोई ताकत तो न थी, मगर मेरा सिर झुका तो, कांपते हाथों ने जमाने भर की दौलत दे दी. – अज्ञात

– चलती फिरती आंखों से अज़ान देखी है, मैंने जन्नत तो नहीं लेकिन मां देखी है.  -मुनव्‍वर राणा