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छत्तीसगढ़ शासन ने उठाया आदिवासी सभ्यता के संरक्षण का बेड़ा, 400 से अधिक देवगुड़ी का किया निर्माण

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कोंडागांव। जिले की अधिकांश जनसंख्या आदिवासी समुदाय से संबंध रखता है। आदिवासी समुदाय की संस्कृति और परंपरा विश्व में अपनी अलग ही पहचान रखती है। जिसे जानने और समझने का कौतूहल हमेशा शोधकर्ताओं का विषय रहा है। समय अंतराल के चलते अब इन आदिवासी सभ्यता और परंपरा को संरक्षण की आवश्यकता आन पड़ी है। जिसे छत्तीसगढ़ की सरकार ने बखूबी समझा है। छत्तीसगढ़ सरकार के मनसा अनुरूप कोंडागांव जिले के आदिवासी सभ्यता और परंपरा के संरक्षण के लिए 428 देवगुड़ी निर्माण की स्वीकृति दी गई है, इसमें से 263 पूर्ण किये गए हैं। वहीं 18 गोटुल निर्माण स्वीकृति दी गयी है, जिसमें से 13 पूर्ण भी किये जा चुके हैं।

कोंडागांव जिला अपनी सांस्कृतिक विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर विभिन्न जनजाति समुदाय के लोग निवास करते हैं। जिनकी अलग – अलग संस्कृति, अलग – अलग खानपान एवं पूजा पाठ के तरीके हैं। इन सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के लिए राज्य शासन द्वारा आदिम संस्कृति के अभिन्न अंगों के रूप में देवगुड़ियों, मातागुड़ियों, गोटूल स्थलों और प्राचीन स्मारक या सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण का प्रयास किया जा रहा है। कोंडागांव जिला प्रशासन के अनुसार छत्तीसगढ़ शासन के माध्यम से 428 देवगुड़ी और मातागुड़ी जीर्णाेद्धार की स्वीकृति दी गई है, जिसमें 263 पूर्ण किये गए हैं।

इसी तरह 18 गोटुल निर्माण स्वीकृति दी गयी है, जिसमें से 13 पूर्ण भी किये जा चुके हैं। जिले में आदिम जाति एवं गैर परम्परागत वन निवासी अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के फलस्वरूप 4 वर्षों में 7224 व्यक्तिगत वनाधिकार पट्टे तथा 1422 सामुदायिक वनाधिकार पत्र प्रदान किया गया है। सामुदायिक वनाधिकार पट्टे के अंतर्गत 769 सामुदायिक वनाधिकार पत्र देवगुड़ी, मातागुड़ी प्राचीन स्मारक हेतु समुदाय को प्रदान किया गया है।