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‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़…’ पंचायत स्तर पर कारोबार, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही भूपेश सरकार

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 रायपुर। ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़, खुशहाल छत्तीसगढ़’ यह सिर्फ एक नारा ही नहीं बल्कि भूपेश सरकार की उपलब्धियां हैं। विकास की नई ऊंचाइयों को छूने का संकल्प लेकर सुदृढ़ ग्रामीण अर्थव्यवस्था व आत्मनिर्भरता को नई दिशा देने वाली सीएम भूपेश की यह विशेष पहल है। भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़वासियों से किए तमाम बड़े वादों को पूरा करके दिखाया है। प्रदेश के शहर, गांव, गरीब, मजदूर, किसान, और बेरोजगारों आदि सभी वर्गों का पूरा ध्यान दिया गया है। राष्ट्रपति महात्मा गांधी जी के गांव को आत्मनिर्भर बनाने के सपना भूपेश सरकार ने साकार किया है। सीएम बघेल ने गांधी जी के मूलमंत्र पर काम किया है। जैसा कि गांधी जी ने कहा था ‘पंचायत राज सच्चे लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करता है।’ इसी को ध्यान में रखते हुए भूपेश सरकार ने जनता के हित में कई योजनाएं बनाकर शहर के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत किया। वहीं प्रदेशवासियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भूपेश सरकार ने रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (RIPA) के तहत लोगों को रोजगार दिया। वहीं राज्य की नई औद्योगिक नीति की तर्ज पर ग्रामीण उद्योग नीति बनाई, जिससे आत्मनिर्भरता के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी जड़ से मजबूत हो सके।

भूपेश सरकार ग्रामीणों के विकास के लिए किसानों की ऋण माफी, समर्थन मूल्य पर धान खरीदी, गौठानों में संचालित आयमूलक गतिविधियों, गोधन न्याय योजना, राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, हाट बाजार क्लीनिक योजना, सार्वजनिक वितरण प्रणाली और रूरल इंडस्ट्रियल पार्क जैसी विभिन्न योजनाओं से छत्तीसगढ़ को नवा और खुशहाल छत्तीसगढ़ बनाया गया है। भूपेश सरकार इन योजनाओं के माध्यम से गांवों को स्वावलंबी बनाने की दिशा में मजबूती से कदम उठाया है।

दरअसल, सीएम भूपेश बघेल ने बताया कि यह गांधी जी का मूलमंत्र है, श्रम का सम्मान, इसके लिए हमारी सरकार कटिबद्ध है। राज्य सरकार व्यक्ति को केंद्र में रखकर योजनाएं बना कर संचालित कर रही है, जिससे उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आए। ताकि वे आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें। भूपेश सरकार ने महात्मा गांधी के गांव को आत्मनिर्भर बनाने का सपना पूरा करने के लिए इस योजना की शुरुआत की। इसके तहत गांव के परंपरागत व्यवसायियों को एक सुअवसर मिला है, जिससे वे अपने परंपरागत व्यवसाय के जरिए स्वयं के साथ-साथ गांव को भी आत्मनिर्भर बना सकें। इस योजना से भूपेश सरकार ने ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़, खुशहाल छत्तीसगढ़’ के साथ ”आत्मनिर्भर भारत” का सपना भी सपना साकार करने में सहयोग किया है।

भूपेश राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण गरीब परिवारों को अपने गांव में ही आय का विकल्प उपलब्ध करवाया जाना है, ताकि ग्रामीण और गरीब परिवारों के लोग अपनी आय में वृद्धि कर पाए। छत्तीसगढ़ में गौठनों को रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में विकसित करने की परिकल्पना अब धीरे-धीरे आकार लेने लगी है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ग्राम स्वराज्य की परिकल्पना के अनुरुप मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में गांवों में छोटे-छोटे कुटीर उद्योग स्थापित कर लोगों को रोजगार और आमदनी के साधन से जोड़ा जा रहा है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा है कि गांव को समृद्ध, आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने के लिए जरूरी है, कि गांव के लोगों को छोटे-छोटे कुटीर उद्योगों के माध्यम से गांव में ही रोजगार और आय के अवसर उपलब्ध कराए जाएं। छत्तीसगढ़ के गांव उत्पादन का केंद्र बने और व्यापार जैसी गतिविधियों का संचालन शहरों से हो। कृषि और उद्यानिकी फसलों के साथ-साथ लघु वनोपजों के संग्रहण के साथ-साथ की वैल्यू एडिशन का काम भी गांव में हो।

इसी वजह से रूरल इंडस्ट्रियल पार्क योजना के अंतर्गत पहले चरण में 300 रूरल इंडस्ट्रियल पार्क बनाए गए। इस योजना को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि RIPA के कारण राज्य का हर एक गांव आत्मनिर्भर बनने में सक्षम हो। वहीं इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों के चयनित गौठानों को रूलर इंडस्ट्रियल पार्क RIPA यानी आजीविका के केंद्रों के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह योजना राज्य के ग्रामीण इलाकों के नागरिकों को बेहतर रोजगार प्रदान करने का काम कर रही है।

भूपेश सरकार की पहल से इन पार्कों में वर्किंग शेड और एप्रोच रोड के निर्माण के साथ बिजली-पानी की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ युवाओं के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा रही है।‘सुराजी गाँव योजना’ के तहत विकसित किये गए गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट के निर्माण, मुर्गी पालन, बकरी पालन, कृषि और उद्यानिकी फसलों तथा लघु वनोपजों के प्रसंस्करण की इकाइयाँ स्थापित की जा रही हैं। साथ ही आटा-चक्की, दाल मिल, तेल मिल की स्थापना भी की जा रही है। इन गतिविधियों में ग्रामीण क्षेत्र में बड़ी संख्या में स्व-सहायता समूहों की महिलाओं और युवाओं को रोज़गार के साथ आय के अच्छे साधन मिल रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो रही है।

ग्रामीण आजीविका पार्क/रीपा में ग्रामीणों के आजीविका संवर्धन हेतु शासन की ओर से मूलभूत सुविधाएं ,आधारभूत संरचना जैसे– आतंरिक सड़क, विद्युत, जल एवं नाली व्यवस्था, वर्कशेड भण्डारण ब्यवस्था, प्रशिक्षण, शिशु गृह, शौचालय, मार्केटिंग सपोर्ट, तकनिकी मार्गदर्शन आदि सुविधाएं उपलब्ध की जा रही हैं। इसमें उद्यम स्थापित करने के इच्छुक स्थानीय युवाओं, स्व सहायता समूहों को चिन्हांकित किया जा रहा है। उद्यमियों को बिजनेस प्लान के आधार पर मशीनरी तथा कार्यशील पूंजी हेतु बैंक से ऋण, विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत पात्रता अनुसार अनुदान एवं सब्सिडी अथवा योजनान्तर्गत शून्य ब्याज दर पर ऋण लेने की सुविधा दी जा रही है।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को इस योजना के लिये नोडल विभाग बनाया गया है साथ ही प्रदेश के रूरल इंडस्ट्रियल पार्क को वाई-फाई सुविधा से लैस किया गया ताकि ये पार्क आर्थिक गतिविधियों के सक्रिय केन्द्र के रूप में विकसित हो सकें। प्रत्येक रूरल इंडस्ट्रियल पार्क को भूपेश सरकार ने 1-1 करोड़ रुपए दिया है, जिनके उपयोग से ग्रामीण सामान्य जरूरतें जैसे कि सस्ते बिजली और पानी की व्यवस्था करने में सहायक हो।

छत्तीसगढ़ के रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क में गांधी के ग्राम स्वराज की झलक देखने को मिल रही है। रीपा पार्क योजना से बढ़ई गुड़ी, लोहार गुड़ी, हेजरी इकाई, कुम्हार गुड़ी, प्रिंटिंग इकाई, रजक गुड़ी, मोची गुड़ी, मूर्तिकला, दोना-पत्तल निर्माण इकाई, गद्दा निर्माण इकाई, सिलाई इकाई, नमकीन, फेब्रीकेशन, मसाला पैकिंग इकाई, जूस निर्माण इकाई आदि से परंपरागत व्यवसायी जुड़ पाएंगे, जिससे रीपा योजना से गांव के परंपरागत व्यवसायियों को आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा। उनका व्यवसाय बढ़ेगा तो उनके साथ-साथ गांव भी आत्मनिर्भर बनेगा।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का मानना है कि गांवों की अर्थव्यस्था को मजबूत करके ही हम राज्य की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ा सकते हैं। सरकार का पूरा ध्यान खेती-किसानी और गांव के लोगों को आर्थिक उत्पादन से जोड़ने पर है। गांव के उत्पाद का वैल्यूएशन कर लोगों के जीवन स्तर में बदलाव लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कृषि और उद्यानिकी उपजों के साथ ही लघु वनोपजों के वैल्यू एडिशन से रोजगार के नए अवसरों का सृजन हो रहा है।

मशरूम और स्पान उत्पादन

एकीकृत राष्ट्रीय बागवानी विकास मिशन अंतर्गत मशरूम उत्पादन एवं स्पान उत्पादन इकाई का निर्माण किया गया है, जिसका क्रियान्वयन लक्ष्मी स्व सहायता समूह कुलगांव द्वारा किया जा रहा है।

मछली आहार बनाने की इकाई से लेकर मशरूम उत्पादन तक

गांधी ग्राम कुलगांव परिसर में कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से मछली आहार बनाने की इकाई, मशरूम उत्पादन, स्पान उत्पादन की इकाइयां स्थापित की गई है। इसके अलावा यहां मछली पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन और वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन किया जा रहा है। ये सभी कार्य स्थानीय स्व सहायता समूह के लोगों के द्वारा किए जा रहे हैं।

मछली आहार का निर्माण

मुर्गी पालन और अंडा उत्पादन का काम आधुनिक तरीके से किया जा रहा है। यहां महिला समूह द्वारा लेयर फार्मिंग व अंडा उत्पादन हो रहा है। इसकी खपत भी आंगनबाड़ियों में की जा रही है। यह शीतला समूह द्वारा चलाया जा रहा है। यहां मछली आहार भी तैयार करने किया जाता है। पूजा समूह की महिलाएं इस इकाई का संचालन कर रही हैं।

दाल मिल एवं मसाला उद्योग

कृषि विभाग द्वारा दाल मिल एवं मसाला उद्योग स्थापित किया गया है, जिसका संचालन जय सरस्वती महिला समूह के सदस्यों द्वारा की जा रही है।

गोबर खरीदी

गोधन न्याय योजना के तहत इस गौठान में वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जाता है।

दोना-पत्तल निर्माण इकाई

इस इकाई को डीएमएफ मद से अप्रैल 2022 में प्रारंभ किया गया था, जिसका संचालन कुलगांव की जय बूढ़ादेव स्वसहायता समूह की लगभग 10 महिलाओं द्वारा किया जा रहा है। इस यूनिट की स्थापित क्षमता 9600 पत्तल प्रतिदिन की है। यहां महिला स्वसहायता समूह द्वारा कोदो चावल भी तैयार किया जा रहा है। समूह द्वारा वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के साथ बाजार में होटल संचालन भी किया जाता है। कुलगांव में स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा ढेंकी से चावल निकालने का काम भी किया जा रहा है। ढेंकी के चावल में चावल की गुणवत्ता सुरक्षित रहती है।

हथकरघा वस्त्र प्रशिक्षण केंद्र

यहां बनाए गए हथकरघा वस्त्र प्रशिक्षण केंद्र में महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। साथ ही यहां बकरी पालन आदि की गतिविधि भी की जा रही है। कुलगांव में चिरौंजी प्रसंस्करण केंद्र भी स्थापित किया गया है।

इन माध्यमों से उत्पादों को मिल रहा बढ़ावा

रीपा यूनिटों में उत्पादन हेतु बैकवर्ड एवं फॉरवर्ड लिंकेज तैयार करने, मार्केटिंग एवं ब्रांडिंग हेतु विभिन्न तकनीकी सहयोग संस्थाओं के साथ एमओयू कर उनकी सेवाएं ली जा रही है। विपणन हेतु शासकीय एजेंसी जैसे सी– मार्ट, सबरी, संजीवनी हर्बल्स, बिलासा एवं निजी क्षेत्र के माध्यम से भी उत्पादों का विक्रय किया जा रहा है।