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युवाओं के प्रेणास्रोत है स्वामी विवेकानंद का जीवन, जानें उनसे जुड़ी कुछ खास बातें

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नई दिल्ली :  करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्त्रोत और आदर्श स्वामी विवेकानंद का आज पुण्यतिथि है। 4 जुलाई 1902 को मात्र 39 साल की उम्र में स्वामी विवेकानंद जी की मृत्यु हो गई थी। उन्होंने अपने छोटे से उम्र में ही स्वामी विवेकानंद सन्यासी बन गए थे और उनका झुकाव अध्यात्म की तरफ हो गया। पश्चिमी देशों को योग-वेदांत की शिक्षा से स्वामी विवेकानंद ने ही अवगत कराया था। यहां तक की हिंदू धर्म के प्रचार का भी एक बड़ा श्रेय इन्हीं को जाता है। आज इस लेख में हम उन्ही से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में बात करेंगे।

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन 1863 को कलकत्ता में हुआ था। स्वामी विवेकानंद बचपन से ही पढ़ाई में तेज थे। ऐसा कहा जाता है कि वो एक बार पुस्तक को पढ़ने के बाद पूरा पुस्तक उन्हें याद हो जाता था।

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में हुआ था। उनके पिता का नाम विश्वनाथ आर माता का नाम भुवनेश्वरी थी। स्वामी विवेकानंद का असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था, जिन्हें लोग नरेन के नाम से भी बुलाते थे। राजस्थान के खेतड़ा के महाराजा अजीत सिंह ने उन्हें श्विवेकानंदश् नाम दिया था।

युवाओं को किसी भी देश के विकास के लिए रीढ़ की हड्डी माना जाता है जैसे शरीर की रीढ़ खराब हो जाए तो शरीर का सीधे खड़ा नहीं हो सकता ठीक उसी तरह अगर देश के युवा गलत रास्ते पर चलने लगे तो देश के विकास में कई रोकावटें आ जाती है। देश के विकास के लिए युवा वर्ग की मानसिकता का अच्छा होना बेहद जरूरी है।