राजनांदगांव: राजनांदगांव जिले के सर्व आदिवासी समाज ने केन्द्र सरकार की समान नागरिक संहिता को लागू करने का विरोध जताया है और राष्ट्रपति के नाम पर एक ज्ञापन कलेक्टर को सौपा है। आदिवासी समाज का कहना है कि समान नागरिक संहिता लागू होने से आदिवासियों की अपनी परंपराओं के बदलने का खतरा बना हुआ है ।
राजनांदगांव जिले के सर्व आदिवासी समाज ने केन्द्र सरकार द्वारा लाये जा रहे समान नागरिक संहिता का विरोध जताया है और राष्ट्रपति के नाम एक पर ज्ञापन कलेक्टर को सौपा है। आदिवासी समाज ने अपने ज्ञापन में कहा कि समान नागरिक संहिता लागू हो जाने से आदिवासियों की अपनी परम्परा बदलने का खतरा बना हुआ है। इस दौरान आदिवासियों ने अपनी पुरातन, सामाजिक संस्कृति, अपने रीती-रिवाजों, समाज के भीतर तय कानूनों और संरक्षण की दिशा में लिए गए फैसलों में बदलाव की आशंका जाहिर की है ।
सर्व आदिवासी समाज के सुदेश टीकम ने बताया कि संविधान के विशेष प्रावधान के तहत आदिवासी समाज को विशेष सांस्कृतिक एवं सामाजिक अधिकार दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि देश में समानता के बगैर किसी भी समान नागरिक संहिता का आदिवासी समाज विरोध करता है। समान नागरिक सहिंता लागू होने पर आदिवासियों के अधिकारों में फर्क पड़ेगा। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इन सभी की आड़ में आदिवासियों का हक और हितों पर हमले किए जा रहे हैं।
आदिवासी समाज ने अपने ज्ञापन में कहा है कि अदिवासी समाज में शादी ब्याह, रीति रिवाज की अपनी अलग परम्परा है । इसी तरह आदिवासी जमीन खरीद ब्रिक्री का अधिकार समाज के लोगों को ही है। जो कि संविधान के विशेष प्रावधान के तहत आदिवासी समाज के हित में दिया गया है। समान नागरिक संहिता से आदिवासियों के इन सभी सीटों पर सीधा प्रहार होगा बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट कार्यालय राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देने पहुंचे। आदिवासियों ने समान नागरिक संहिता का पुरजोर विरोध किया है और इसे लागू नहीं करने को लेकर ज्ञापन सौंपा है।