Home छत्तीसगढ़ नई रिहिस कोनो पूछारी…कका के राज म बछरू घलो बनगे छत्तीसगढ़िया ओलंपिक...

नई रिहिस कोनो पूछारी…कका के राज म बछरू घलो बनगे छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के चिन्हारी

30
0

 रायपुर :  युवा और छात्र देश-प्रदेश के भविष्य के कर्णधार हैं। सीएम भूपेश बघेल की विशेष पहल से नवा छत्तीसगढ़ की यात्रा में युवाओं का भरोसा न केवल बरकरार है बल्कि वे भागीदार बनने को भी उत्साहित हैं। छत्तीसगढ़ की माटी में खुशबू में समाहित लोक कला एवं संस्कृतियों के साथ भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़िया खेलों को भी आगे बढ़ाने का काम किया। इस नई पहल से छत्तीसगढ़ भी खेल की दुनिया में छा जाने को पूरी तरह से तैयार हो गया है। यहां पर हो रहे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेलों के साथ ही पारंपरिक खेलों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के आयोजनों से प्रदेश की एक नई पहचान बनी है।

प्रदेश के सीएम भूपेश बघेल की पहल पर हमारे ग्रामीण इलाकों जो खेल विलुप्त हो रहे थे उनको प्रोत्साहन एवं बढ़ावा देने के लिए राज्य में पहली बार छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरूआत की गई है। सीएम भूपेश बघेल का छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल को आरंभ करने का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में स्थानीय और पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देना है। साथ ही राज्य में छिपी खेल प्रतिभा को उजागर करना है। इसी को ध्यान में रखकर प्रदेश में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के शुभंकर बछरू को लांच किया गया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस साल हरेली पर्व पर छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के शुभंकर बछरू को लांच किया। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के गाने पर बछरू की शानदार एंट्री ने प्रदेशवासियों का दिल जीत लिया। हरेली पर्व पर छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के शुभंकर बछरू का अंदाज बेहद खास रहा। छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार जिस तरह से छत्तीसगढ़ी परंपरा विरासत और संस्कृति के संरक्षण का प्रयास कर रही है। उसी तरह हमारे ग्रामीण अंचलों की गलियों में खेले जाने वाले पारंपरिक खेलों को भी सहेज रही हैं। लोग अपने पुराने दिनों की यादों को ताजा कर रहे हैं।

भूपेश सरकार ने इस आयोजन के माध्यम से ऐसे लोगों को अपना खेल हुनर दिखाने का अवसर दिया है, जो खुद की खेल प्रतिभा से अंजान थे। आधुनिक खेलों के बीच छत्तीसगढ़िया खेलों को लोग नजर अंदाज करते जा रहे थे और भूलते जा रहे थे। वहीं ग्रामीणों की पांरपरिक और सांस्कृतिक खेलों को आज सभी के बीच दोबारा लाने की सीएम भूपेश बघेल की यह सफल योजना रही। सीएम बघेल की इस विशेष पहल से आज प्रदेश में छत्तीसगढ़िया खेलों को शुभंकर बछरू नाम से एक नई चिन्हारी मिली है।

छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में शुरू हुए छत्तीसगढ़िया ओलिंपिक 2023 के लिए शुभंकर बछरू (गाय का बछड़ा) को बनाया है। छत्तीसगढ़ में गाय के बछड़े को बछरू कहा जाता है। इस साल के ओलिंपिक के थीम सॉन्ग पर थिरकते बछरू का अंदाज लोगों को बेहद पसंद आया। शुभारंभ के दिन बछरू को लॉन्च किया गया साथ ही सीएम भूपेश बघेल समेत कई नेताओं और लोगों ने बछरू के साथ सेल्फी भी ली।

छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार जिस तरह से छत्तीसगढ़ी परंपरा विरासत और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन को सहेजने में लगी है। उसी तरह से प्रदेश के पारंपरिक खेल कंचा, भंवरा, कबड्डी, खो-खो, लंगडी दौड़, 100 मीटर दौड़, कुर्सी दौड़, पिट्ठुल, गेड़ी दौड़, बिल्लस फुगड़ी, गिल्ली डंडा, लंबी कूद जैसे पारंपरिक खेलों को भी बचाए रखने के लिए प्रयासरत है। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक प्रतियोगिता खिलाड़ियों के लिए खेलों में आगे कैरियर बनाने के लिए नया रास्ता भी बन रहा है।

भूपेश सरकार के द्वारा हरेली तिहार के दिन से ही प्रदेश में छत्तीसगढ़िया ओलिंपिक का शानदार आगाज हुआ छत्तीसगढ़िया ओलिंपिक में लोग बच्चों से लेकर बूढ़े तक उत्साह के साथ भाग लिए। खासकर गांवों में इसका अलग ही रौनक देखने को मिला। पिछली बार के ओलिंपिक में भी पूरे प्रदेश में खासा उत्साह देखने को मिला था। बच्चों से लेकर बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों ने इस प्रतियोगिता में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। गांव-गांव में पारंपरिक खेलों के लिए माहौल बना। आज भूपेश सरकार की विशेष पहल से गांव, नगर और कस्बों में खेलों को लेकर उत्साहजनक वातावरण तैयार हुआ है।