रायपुर : बस्तर का नाम सुनते ही खौफ का मंजर लोगों के जहन में आने लगता है। बीते कई दशकों से प्रदेश के बस्तर इलाकों में नक्सलियों का आतंक चल रहा था, जो कानून के लिए परेशानी का सबब था, लेकिन भूपेश सरकार ने इसे जड़ से खत्म करने की कोशिशों को बल दिया। जिससे देश के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित राज्यों में शुमार छत्तीसगढ़ में बीते चार सालों से प्रदेश में नक्सली घटनाओं की संख्या में काफी कमी आई है। साथ नक्सल प्रभावित इलाकों में सीएम भूपेश बघेल ने स्थानीय रोजगार को भी बढ़ाने पर जोर दिया है जिसके तहत बस्तर फाइटर नामक विशेष बल का गठन किया है।
सीएम बघेल के प्रयास से प्रत्येक जिले से तीन सौ युवाओं सहित कुल 2100 आरक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और से ये युवा पीटीएस में ट्रेनिंग कर रहें है। ट्रेनिंग खत्म होने के बाद इन्हें नक्सल फ्रंट इलाकों में तैनाती दे दी जाएगी। बस्तर संभाग अंतर्गत नक्सल विरोधी अभियान के साथ-साथ क्षेत्र की जनता के मंशानुरूप विकास कार्यों को गति प्रदान करने के लिए चार सालों में 54 नवीन सुरक्षा कैम्प एवं थानों की स्थापना की गई। स्वास्थ्य, शिक्षा, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, विद्युत सुविधा, बैंक, आंगनबाड़ी केन्द्र एवं अन्य सुविधाएं तेजी से उपलब्ध कराने के कारण लोगों का विश्वास शासन-प्रशासन के प्रति बढ़ा है।
छत्तीसगढ़ की कमान संभालते ही सीएम भूपेश बघेल ने लाल आतंक को खत्म करने की मंशा बना ली थी। नक्सल बाहुल्य इलाकों में नक्सलियों से प्रभावित गांवों को सीएम बघेल ने मुक्त कराने का प्रयास किया, जो काफी हद तक सफल रही। सरकारी दावा है कि बीते चार सालों में नक्सल प्रभावित 2710 गांवों में से 589 को नक्सलियों के प्रभावों से मुक्त कराया गया है। इन गांवों सड़क, सुरक्षा, बिजली, पानी और शिक्षा मुहैय्या कराने के लिए सरकार काम कर रही है।
सरकारी दावा है कि भूपेश सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्र की जनता का विश्वास हासिल कर विकास कार्यों को गति देने के लिए एक सुरक्षित वातावरण निर्मित करने का गंभीर प्रयास शुरू किया गया, जिसके बेहद सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।
भूपेश सरकार ने आदिवासी इलाकों में विकास, विश्वास और सुरक्षा की नीति को अपनाते हुए नक्सलवाद को जड़ से समाप्त करने की रूपरेखा तैयार की। राज्य के नक्सल प्रभावित बस्तर में पिछले चार सालों में इस त्रिवेणी मॉडल ने 589 गांवों को नक्सल हिंसा से बाहर निकाला और 5 लाख 74 हजार से अधिक लोग हिंसा और दहशत से मुक्त हुए।
भूपेश राज में अंतिम सांसें गिन रहा लाल आतंकी
- सरकारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017-2018 में जहां बस्तर रेंज अंतर्गत औसतन 470 नक्सल घटनाएं घटिए हुई, जो विगत वर्षों में कम होते-होते वर्ष 2021-22 में लगभग 228 नक्सल घटनाएं घटित हुई। इस प्रकार इन 6 वर्षों में नक्सल घटनाओं में लगभग 52% की कमी आई है।
- वर्ष 2008-2009 की अवधि में बस्तर रेंज अंतर्गत 683 नक्सल घटनाएं घटित हुई, जो विगत वर्षों में कम होकर वर्ष 2021 2022 में 70% की कमी आई है।
- वर्ष 2006-2019 की अवधि में नक्सलियों की हिंसात्मक गतिविधि चरम सीमा पर थी। उस दौरान प्रतिवर्ष औसतन 156 सुरक्षाकर्मियों की शहादत हुई। इसी प्रकार उक्त अवधि में प्रतिवर्ष औसतन 194 आम नागरिकों की नक्सलियों द्वारा निर्मम हत्या की गई। विगत 05-06 वर्षों में नक्सल वारदातों में आम नागरिकों की जनहानि एवं सुरक्षाकर्मियों की शहादत में उल्लेखनीय कमी आई है।
छत्तीसगढ़ में नक्सल को समाप्त करने के लिए पुलिस प्रशासन लगातार ऑपरेशन चला रहा है। इसी के तहत वर्ष 2023 में भी ऑपरेशन मानसून की तैयारी पूरी कर ली गई है। इससे पहले भी बीते 2 वर्षों में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन मानसून चलाया गया था। वर्ष 2021 में जवानों ने 35 नक्सलियों के सरेंडर करने के साथ ही 15 से अधिक नक्सलियों को गिरफ्तार किया था। वर्ष 2022 में भी बस्तर पुलिस को बड़ी सफलता मिली थी। करीब 40 से अधिक नक्सलियों के सरेंडर करने के साथ ही 20 से अधिक नक्सलियों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था।