अंबिकापुर : अखाड़ा, कुश्ती, दंगल, मलयुद्ध यह हमारी पुरानी विधाएं हैं, लेकिन यह पुरानी विधा अब लुप्त होती जा रही है। यही कारण है कि गांव-गांव की प्रतिभाएं सामने नहीं आ पा रही, लेकिन इन्हीं प्रतिभाओं को सामने लाने का काम सरगुजा कुश्ती संघ कई सालों से कर रहा है। नाग पंचमी के अवसर पर सरगुजा कुश्ती संघ के द्वारा प्रतियोगिता का आयोजन कराया जाता है, जहां सरगुजा केसरी और सरगुजा कुमार के खिताब से जीतने वाले कुश्ती के खिलाड़ियों को नवाजा जाता है। इसके पीछे मंशा यही है कि गांव से प्रतिमाह निकल कर सामने आ सके और वह प्रदेश ही नहीं बल्कि देश भर में अपना नाम रोशन कर सकें।
दरअसल, कुश्ती का खेल परंपरागत खेल माना जाता रहा है, मगर आधुनिकता के दौर पर कुश्ती के खेल को वह तवज्जो नहीं मिल पा रहा जो बाकी खेलों को मिलता है। यही कारण है कि इसका मंचन करने वाले खिलाड़ियों को न तो बेहतर मंच मिल पा रहा है और ना ही बेहतर संसाधन जिससे वह अपनी प्रतिभा को निखार सकें सरगुजा जिला कुश्ती संघ के द्वारा कई वर्षों से कुश्ती का आयोजन कराया जाता रहा है।
नाग पंचमी के दिन होने वाले इस आयोजन में जिले और प्रदेश के साथ-साथ दूसरे प्रदेशों से भी कुश्ती के खिलाडी यहां पहुंचते हैं और समिति के द्वारा इन्हें पुरस्कार दिया जाता है। समिति के सदस्यों का कहना है कि सरकार की तरफ से और मदद मिलनी चाहिए ताकि कुश्ती का खेल क्रिकेट हॉकी फुटबॉल जैसे अन्य खेलों की जैसे ही लोकप्रिय और प्रचलित हो सके और खिलाड़ी संसाधन के जरिए अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सके।