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गैस सिलेंडर बना मदुरै ट्रेन हादसे की वजह, चाय-नाश्ता बना रहे थे यात्री, जानें क्या हैं रेलवे के नियम

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नई दिल्ली : तमिलनाडु के मदुरै रेलवे स्टेशन पर खड़े एक रेलयात्री कोच में शनिवार तड़के आग लगने से रामेश्वरम जाने वाले कम से कम 10 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई और 7 अन्य घायल हुए हैं. दक्षिण रेलवे ने यह जानकारी देते हुए कहा कि यात्री कोच में ‘अवैध रूप’ से लाए गए गैस सिलेंडर की वजह से आग लगी.

दक्षिण रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी,बताया कि जिस डिब्बे में आग लगी, वह एक ‘प्राइवेट पार्टी कोच’ (किसी व्यक्ति द्वारा बुक किया गया पूरा डिब्बा) था. इसमें सवार 63 यात्री पिछले सप्ताह 17 अगस्त को लखनऊ से तीर्थयात्रा पर निकले थे. इनमें से अधिकतर यात्री उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और उसके आसपास के इलाकों के निवासी थे. उन्होंने कहा, ‘यह एक निजी पार्टी कोच था, जिसे ट्रैवल एजेंट भसीन ट्रैवल्स, सीतापुर द्वारा बुक किया गया था.’

दक्षिण रेलवे की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि आग लगने की घटना शनिवार तड़के 5:15 मिनट पर हुई और मौके पर पहुंचे दमकलकर्मियों ने सुबह 7:15 बजे आग पर काबू पा लिया. इस घटना में किसी अन्य कोच को कोई नुकसान नहीं हुआ.

चाय-नाश्ता बनाने के दौरान लगी आग!
रेलवे ने अपने बयान में कहा कि प्राइवेट पार्टी कोच को शुक्रवार को नागरकोइल जंक्शन पर ट्रेन 16730 पुनालुर-मदुरै एक्सप्रेस के साथ जोड़ा गया था, जो सुबह 3.47 बजे मदुरै पहुंची. पार्टी कोच को अलग करके मदुरै स्टेबलिंग लाइन पर रखा गया था, जहां यह घटना घटी.

सीपीआरओ ने कहा, ‘निजी पार्टी ने अवैध रूप से गैस सिलेंडर, स्टोव और अन्य ज्वलनशील सामान रखा हुआ है. जब डिब्बा खड़ा था, तब कुछ यात्री चाय/नाश्ता बनाने के लिए अवैध रूप से लाए गए रसोई गैस सिलेंडर का इस्तेमाल कर रहे थे, जिसके कारण डिब्बे में लग गई. इसकी भनक लगने पर अधिकांश यात्री बाहर निकल गए. कुछ यात्री डिब्बे को अलग किए जाने से पहले ही प्लेटफार्म पर उतर गए थे.’  उन्होंने बताया कि घटनास्थल पर एक एलपीजी सिलेंडर, आलू की बोरी, बर्तन और लकड़ियां मिली हैं, जिससे डिब्बे में खाना पकाए जाने के पर्याप्त संकेत मिले हैं.

कोई भी बुक कर सकता है पूरी ट्रेन या कोच
कोई भी व्यक्ति या संगठन निजी यात्रा या दौरे और यहां तक कि शादी-ब्याह के लिए पूरी ट्रेन या कुछ कोच बुक कर सकता है. ये यात्राएं रेलवे नेटवर्क के किसी भी स्टेशन के बीच हो सकती हैं. इसके लिए बुकिंग कम से कम एक महीने पहले की जानी चाहिए. इन चार्टर्ड कोचों को केवल उन्हीं स्टेशनों पर जोड़ा या अलग किया जा सकता है, जहां रुकने का समय 10 मिनट से अधिक है.

ट्रेन में ज्वलनशील वस्तुएं?
बता दें कि रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 67, 164 और 165 के तहत गैस सिलेंडर, पटाखे, एसिड, मिट्टी का तेल, पेट्रोल, थर्मिक वेल्डिंग, स्टोव और विस्फोटक जैसे ज्वलनशील लेख ले जाना दंडनीय अपराध है. रेलवे अधिनियम की धारा 67 खतरनाक या आपत्तिजनक सामान की ढुलाई के बारे में विस्तार से बताती है. वहीं धारा 164 और धारा 165 ‘ट्रेन में गैरकानूनी तरीके से आपत्तिजनक सामान लाने’ के बारे में बात करती है.

यह एक ऐसा अपराध है, जिसके लिए तीन साल तक की कैद या 500 रुपये से 1,000 रुपये तक जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है. इसके साथ ही ट्रेन में ऐसा सामान लाने के कारण होने वाली किसी भी हानि, चोट या क्षति के लिए भी वे उत्तरदायी होंगे.

रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि जब यात्री पार्सल बुक कर रहे होते हैं, तब भी इन वस्तुओं पर प्रतिबंध होता है. इसके अलावा, रेलवे मैनुअल के पैरा 9 में कहा गया है कि निजी पर्यटक दलों को एक लिखित घोषणा देनी चाहिए कि वे अपनी यात्रा के दौरान कोई भी ज्वलनशील वस्तु नहीं ले जाएंगे. ताजा अग्निकांड में प्राइवेट पार्टी ने भी घोषणा पत्र दिया था कि वे कोई भी ज्वलनशील वस्तु नहीं ले जाएंगे.