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मीना साहू के मैदान में उतरने से अब बालोद में त्रिकोणीय मुकाबला तय

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बालोद :  विधानसभा चुनाव के तहत बालोद क्षेत्र का चुनाव भी अब मीना साहू के मैदान में उतरने पर और ज्यादा दिलचस्प हो गया है। भारी भीड़ के साथ नामांकन रैली निकालने के बाद अब आशंकाओं के बादल भी छठ गए हैं। मीना साहू का चुनाव लड़ना तय हो गया है। इसके साथ ही यह भी निश्चित हो गया है कि बालोद विधानसभा में अब त्रिकोणीय मुकाबला होगा। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहा है चुनावी समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं। हमेशा से सुर्खियों में रहने वाला बलोद विधानसभा क्षेत्र का चुनाव इस बार भी सुर्खियों में रहने वाला है। साथ ही बहुत दिलचस्प भी होने वाला है। इसका कारण यह है की दोनों राजनीतिक दलों के अलावा मीना साहू ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में आवेदन भर कर हुंकार भर दिया है। नामांकन रैली में भीड़ का अनुपात देखा जाए तो मीना साहू की नामांकन रैली में भी काफी संख्या में लोग पहुंचे थे। इसीलिए अभी से अनुमान लगाया जा रहा है कि बालोद में त्रिकोणीय मुकाबला तय है।

अनेक सामाजिक संस्थाओं से समर्थन का दावा
मीना साहू द्वारा निकाली गई नामांकन रैली को लोग ओंकार रैली के रूप में देख रहे हैं जिस तरह कांग्रेस से पिछले 10 सालों से टिकट मांगने पर भी टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर और नामांकन डालकर मीना साहू ने एक तरह से हुंकार ही भरी है। उन्हें सभी समाजों के समर्थन का दावा भी किया जा रहा है। इस रैली में बताया जा रहा है कि लोग स्वतंत्र रूप से शामिल हुए थे। विभिन्न सूचना माध्यमों से मीना साहू ने सिर्फ लोगों से नामांकन रैली में शामिल होने की अपील की थी और लोगों का हुजुम उमड़ पड़ा।अब देखना यह है कि मीना साहू की हुंकार रैली आगे क्या-क्या गुल खिलाती है।

राजनीतिक दलों में भी रही चर्चा
वैसे तो कांग्रेस में टिकट की घोषणा होने के बाद से ही यह कयास लगाया जा रहा था कि मीना साहू निर्दलीय चुनाव lad सकती है, हालांकि संगठन द्वारा उन्हें मनाने का प्रयास भी किया गया लेकिन उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला ले लिया था। नामांकन के दौर तक भी कांग्रेस उम्मीद लगाए बैठी थी कि शायद मीना साहू नामांकन न भरे। लेकिन 30 अक्टूबर को नामांकन रैली निकालकर उन्होंने सबको बता दिया कि वह चुनाव मैदान में हैं।

त्रिकोणी मुकाबले में भारी पड़ सकती है मीना
जिस तरह से बालोद विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के प्रत्याशी संगीता सिन्हा व भाजपा के प्रत्याशी राकेश यादव को टक्कर देती हुई निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मीना साहू ने नामांकन भरा है इससे माना जा रहा है कि निश्चित रूप से मीना कहीं न कहीं दोनों राजनीतिक दलों का समीकरण बिगाड़ सकती है। राजनीतिक सूत्र तो बताते हैं कि मीना साहू से दोनों ही राजनीतिक दलों के नाराज कार्यकर्ता संपर्क में हैं, यदि नाराज कार्यकर्ता मीना का साथ देते हैं तो निश्चित रूप से मीना का पलड़ा भारी ही रहेगा। हालांकि चुनाव में अभी 17 दिन बाकी है और 17 दिनों में कई खेल खेले जा सकते हैं।

फिलहाल राजनीतिक दल आगे हैं प्रचार प्रसार में
वर्तमान स्थिति देखा जाए तो नामांकन की तारीख की समाप्ति के बाद अभी दोनों ही राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा चुनाव प्रचार प्रचार में आगे हैं। निर्दलीय प्रत्याशियों को अभी चुनाव चिन्ह भी आवंटन नहीं हुआ है। चुनाव चिन्ह मिलने के बाद ही चुनावी प्रचार प्रसार जोर पकड़ेगा, जबकि भाजपा और कांग्रेस में प्रत्याशी घोषित होने के बाद से ही चुनाव प्रचार शुरू हो गया है। वर्तमान में भाजपा और कांग्रेस दोनों चुनाव प्रचार प्रचार में एक दूसरे से आगे निकलने की कोशिश में है। दोनों के जगह-जगह वॉल राइटिंग हो चुके हैं, बैनर पोस्टर भी तेजी के साथ लगाए जा रहे हैं।