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क्या होती है रैट होल माइनिंग, कैसे की जाती है खुदाई?

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उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में पिछले 16 दिन से अंदर फंसे श्रमिकों को बचाने की कोशिशें जारी हैं. ताजा जानकारी के मुताबिक खुदाई का काम पूरा हो चुका है और टनल में पाइप आर पार हो चुका है. NDRF और SDRF के कुछ जवान अंदर गए हैं, पाइप का कुछ हिस्सा नुकीला हो गया है जिसे ठीक किया जा रहा है. मीडिया रिपोट्स के मुताबिक मजदूरों तक पहुंचने के लिए ‘रैट होल माइनिंग’ तकनीक से की जा रही ड्रिलिंग की गई.

12 ‘रैट होल माइनिंग‘ एक्सपर्ट्स को लगाया क्या?

अधिकारियों ने बताया कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में चारधाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग के अवरूद्ध हिस्से में शेष रह गए 10 मीटर मलबे में खुदाई कर रास्ता बनाने के लिए 12 ‘रैट होल माइनिंग’ विशेषज्ञों को लगाया गया. इससे पहले, एक भारी और शक्तिशाली 25 टन वजनी अमेरिकी ऑगर मशीन से सुरंग में क्षैतिज ड्रिलिंग की जा रही थी लेकिन शुक्रवार को उसके कई हिस्से मलबे में फंसने के कारण काम में व्यवधान आ गया. लेकिन इससे पहले उसने मलबे के 47 मीटर अंदर तक ड्रिलिंग कर दी थी.

सवाल उठता है कि यह ‘रैट होल माइनिंग’ तकनीक क्या है जो इस बचाव प्रयास में सबसे बड़ी उम्मीद की किरण बन कर उभरी:

क्या है रैट होल माइनिंग तकनीक?
रैट होल माइनिंग एक विवादास्पद और खतरनाक प्रक्रिया है. यह बहुत छोटे गड्ढे खोदकर, (4 फीट से अधिक चौड़े नहीं), कोयला निकालने की एक विधि है. एक बार जब खनिक कोयले की सीमा तक पहुंच जाते हैं, तो कोयला निकालने के लिए बगल में सुरंगें बनाई जाती हैं. निकाले गए कोयले को पास में ही डंप कर दिया जाता है और बाद में उन्हें ले जाया जाता है .

रैट-होल माइनिंग में, मजदूर खुदाई करने के लिए हाथ से पकड़े जाने वाले उपकरणों (छेनी-हथोड़ों) का उपयोग करते हैं और मलबा तसले ले ऊपर पहुंचाते हैं. यह मेघालय में खनन का सबसे आम तरीका है, जहां कोयले की परत बहुत पतली है. सुरंगों का छोटा आकार होने की वजह से इसमें नाबालिग किशोरों या बच्चों को भी लागाया जाता है. कई बच्चे ऐसी खदानों में काम पाने के लिए खुद को वयस्क भी बताते हैं.

मेघालय में कई दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप रैट-होल खनिकों की मौतें हुई हैं। वर्ष 2018 के 13 दिसंबर को कसान के एक कोयला खदान में पानी भरने से 15 मज़दूरों की मौत हो गई थी, जो ‘रैट होल माइनिंग’ के ज़रिए कोयला निकालने का काम कर रहे थे.

क्यों लगाया गया प्रतिबंध?
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 2014 में इस तरह की माइनिंग पर बैन लगा दिया था। 2015 में भी उसने प्रतिबंध बरकरार रखा था। हालांकि, यह आदेश मेघालय के संबंध में था. इसके बाद राज्य सरकार ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.

हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लेकिन यह प्रथा मेघालय के अलवा अन्य राज्यों में भी बड़े पैमाने पर जारी है.

सिलक्यारा सुरंग रैट होल माइनिंग करने वाले कौन हैं?
पीटीआई भाषा के मुताबिक बचाव कार्यों में सहयोग के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने स्पष्ट किया कि मौके पर पहुंचे व्यक्ति ‘रैट होल’ खननकर्मी नहीं है बल्कि ये लोग इस तकनीक में माहिर लोग हैं.