नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि आयुर्वेद और उसके MD आचार्य बालकृष्ण को अवमानना नोटिस जारी किया है। सुनवाई के दौरान जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि आप में (पतंजलि) कोर्ट के आदेश के बाद भी यह विज्ञापन लाने का साहस रहा। अब हम सख्त आदेश पारित करने जा रहे हैं। हमें ऐसा इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि आप कोर्ट को उकसा रहे हैं। कोर्ट ने सरकार के खिलाफ भी सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा- पूरे देश को धोखा दिया जा रहा है और सरकार आंख मूंद कर बैठी है।
केस की अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी
IMA की ओर से कोर्ट में पेश हुए सीनियर एडवोकेट पीएस पटवालिया ने कहा कि पतंजलि ने योग की मदद से मधुमेह और अस्थमा को ‘पूरी तरह से ठीक’ करने का दावा किया था। कोर्ट ने अगली सुनवाई 15 मार्च को तय की है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने 2022 में पतंजलि के खिलाफ ये याचिका दायर की थी। IMA की शिकायत के अनुसार बाबा रामदेव सोशल मीडिया पर एलोपेथी के खिलाफ गलत जानकारी फैला रहे हैं।
हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना लगा सकता है
इससे पहले 21 नवंबर 2023 को हुई सुनवाई में जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा था- पतंजलि को सभी भ्रामक दावों वाले विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा। कोर्ट ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना लगा सकता है।
कोर्ट एलोपैथी बनाम आयुर्वेद’ की बहस नहीं बनाना चाहती
कोर्ट ने निर्देश दिया था कि पतंजलि आयुर्वेद भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रेस में उसकी ओर से इस तरह के कैज़ुअल स्टेटमेंट न दिए जाएं। बेंच ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को ‘एलोपैथी बनाम आयुर्वेद’ की बहस नहीं बनाना चाहती बल्कि भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की समस्या का वास्तविक समाधान ढूंढना चाहती है।
बाबा रामदेव को अन्य प्रणालियों की आलोचना नहीं करनी चाहिए
इससे पहले हुई सुनवाई में भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने तब कहा था] ‘बाबा रामदेव अपनी चिकित्सा प्रणाली को लोकप्रिय बना सकते हैं, लेकिन उन्हें अन्य प्रणालियों की आलोचना क्यों करनी चाहिए। हम सभी उनका सम्मान करते हैं, उन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया, लेकिन उन्हें अन्य प्रणालियों की आलोचना नहीं करनी चाहिए।