Home छत्तीसगढ़ जंघमपाल,चिकपाल,मार्जुम,तेलम,टेटम, नहाडी,ककाडी,बुरगुम तथा प्रतापगिरी जैसे संवेदनशील क्षेत्र में राशन मिलने पर ग्रामीणों...

जंघमपाल,चिकपाल,मार्जुम,तेलम,टेटम, नहाडी,ककाडी,बुरगुम तथा प्रतापगिरी जैसे संवेदनशील क्षेत्र में राशन मिलने पर ग्रामीणों के चेहरे पर आई खुशी

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दंतेवाड़ा : प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मंशानुरूप समूहों की महिलाओं को समुदायमुलक गति विधियों से अधिक से अधिक जोड़ा जाना चाहिए ताकि स्व रोजगार का हर छोटा बड़ा अवसर उनके लिए उपलब्ध हो सके, वैसे भी समूहों ने रोजगार के कई कार्य क्षेत्रों पर अपनी उपयोगिता सिद्ध कर दी है और पूरी जवाब देह से कार्यों का संचालन कर अपनी पूरे परिवार की जिम्मेदारी भी उठाया है।प्रशासन द्वारा भी महिलाओँ को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए सदैव प्रयास किए जाते रहें है।इस कड़ी में कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी के निर्देशन पर सी-मार्ट के द्वारा जिले के हर एक गांव एवं पंचायत में स्व सहायता समूहों की दीदियों के द्वारा राशन सामग्री उपलब्ध कराने का जिम्मा दिया गया है और ये समूह सभी स्कूल शाला,आश्रम शाला पोटाकेबिन इत्यादि जगह पर राशन पहुंचा कर बखूबी इन कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है।उल्लेखनीय कि दंतेवाड़ा जिला एक बहुल आदिवासी जिला है और इस जिले में बिहान योजना के महिला स्व सहायता समूह द्वारा संचालित सी मार्ट दंतेवाड़ा के दीदियो के द्वारा प्रशासन के महत्वाकांक्षी योजना नियाद नेल्लानार अन्तर्गत किरंदुल परियोजना, विकासखंड कुआकोंडा अंतर्गत दंतेवाड़ा ज़िले से लगभग 120 किलोमीटर दूरी पर मूलेर गाँव के आँगनबाडी और सुपोषण केंद्र के हितग्राहियों के लिए राशन सामग्री प्रदाय किया गया।

इसके साथ ही जंघमपाल,चिकपाल,मार्जुम, तेलम,टेटम,नहाडी,ककाडी,बुरगुम तथा प्रतापगिरी जैसे बहुत अधिक अति संवेदनशील जगहों पर भी राशन सामग्री के मिलने से ग्रामीणों में शासन प्रशासन के प्रति एक नया विश्वास जगा हैं और वे खुलकर साधुवाद दे रहे हैं ग्रामीणों की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने वाली उच्च गुणवत्ता के सामग्री प्रदाय करने में महिला स्व सहायता समूहों का उत्साह भी प्रसंशनीय है इस संबंध में सी मार्ट के महिला समूह की सचिव जानकी दीदी बताती है कि हमने बहुत दूर- दूर तक गाँव में आंगनबाड़ी और हॉस्टल में राशन सामग्री पहुँचाई है।और इस योजना के माध्यम से हितग्राहियों में एक अलग तरह की ख़ुशी देखने को मिलती है कि उन्हें प्रशासन के माध्यम से उच्च गुणवत्ता की अच्छी सामग्री अपने गाँव में ही मिल पा रही है। इसके लिए किसी दूसरे गांव जाना नहीं पड़ता और समूह को भी संतुष्टि है कि वे शासन के निर्देश अनुरूप ग्रामीणों की जरुरत और मांग पर गाँव-गाँव राशन पहुंचाने का काम कर प्रशासन के कंधे से कन्धा मिला कर सहयोग कर रही है।