इस साल पितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण लग रहा है. शारदीय नवरात्रि की शुरुआत से पहले ग्रहराज सूर्य पर संकट के बादल छाना अच्छा नहीं कहा जा सकता है.
साल का आखिरी सूर्य ग्रहण
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15 दिन के भीतर दूसरा और साल का अंतिम ग्रहण लगने जा रहा है, जो कि एक कंकणाकृति सूर्य ग्रहण है. इससे पहले 18 सितंबर को खण्डग्रास चंद्र ग्रहण लगा था. यह ग्रहण पितृ अमावस्या और नवरात्रि के एक दिन पहले यानी आश्विन कृष्ण अमावस्या 2 अक्टूबर 2024 को लगेगा. ग्रहण की कुल अवधि 6 घंटे 4 मिनट की होगी.
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ग्रहण एक खगोलीय घटना है जिसका आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही क्षेत्रों में काफी महत्व है. लगातार दो ग्रहण का लगना या पड़ना शुभ नहीं माना जाता है, जिन देशों में भी ग्रहण दृश्य होता है वहां के लोगों को प्राकृतिक आपदाएं, महामारी और देश की आर्थिक स्थिति में भी काफी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है.
इन देश में मान्य होंगे यम सूतक के नियम
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2 अक्टूबर को पड़ने वाले सूर्य ग्रहण को स्पष्ट रूप से मेक्सिको के पश्चिम समुद्री क्षेत्र, मध्य एवं दक्षिणी अमेरिका, उत्तरी एवं पश्चिमी अंटार्कटिका में स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा. ग्रहण से संबंधित जो भी यम नियम सूतक है, वह इन देशों में मान्य होंगे.
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कंकणाकृति सूर्य ग्रहण कन्या राशि और हस्त नक्षत्र पर पड़ेगा. ग्रहण के दौरान जो भी लोग ग्रहण प्रभावित देशों में रहेंगे उनके लिए ग्रहण से संबंधित सभी नियमों का पालन जरूरी है. ग्रहण के प्रभाव स्वरूप हस्त नक्षत्र और कन्या राशि वालों को बीमारी का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए इन लोगों को ग्रहण किसी भी कीमत पर नहीं देखना है, एक बात और ध्यान रखनी है कि ग्रहण काल में भूल कर भी मनोरंजन नहीं करना है और न सोना है.
ग्रहण का समय
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भारतीय समयानुसार यह कंकण खंडग्रास सूर्यग्रहण का स्पर्श रात्रि 09:13 बजे होगा और 27ः17 बजे ग्रहण से सूर्य को मोक्ष प्राप्त होगा.
भारत में नहीं होगा दृश्य
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भारत में सूर्य ग्रहण के स्पर्श और मोक्ष का समय रात्रि रहेगी, इसलिए यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा. भारत में दृश्य न होने के कारण वेध, सूतक, स्नान, दान एवं जप अनुष्ठान भी मान्य नहीं होंगे. यह ग्रहण सिर्फ विदेशों में ही दृश्य मान्य होगा इसलिए विदेशी लोगों को सभी नियमों का सख्ती से पालन करना है.