रिपोर्टर मुन्ना पांडेय,सरगुजा : सनातन से चली आ रही परंपरा को कायम रखते हुए श्रद्धालु अपने पूर्वजों के आत्मशांति के लिए एक पक्ष अर्थात 15 दिनों तक लगातार नदी तालाब जलसरोवरो में श्राद्ध तर्पण करने के बाद पक्ष की समाप्ति के साथ 2 अक्टूबर दिन बुधवार को पितृ विसर्जन कर श्रद्धा भक्ति के साथ अपने पितृदेव़ो को विदा किये। पितृ विसर्जन के मौके पर श्रद्धालुओं ने पंडित पुजारियों को भोजन करा -वस्त्र द्रव्य अन्न दान देकर आशिर्वाद प्राप्त किये। अश्विनी कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से अमावस्या तिथि तक को पितृपक्ष की संज्ञा प्राप्त है। धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि पितृपक्ष में पूर्वज मृत्तात्माओ के निमित्त भक्ति भाव के साथ श्राद्ध तर्पण करने से उनके आत्मा को शांति मिलती है वहीं कुल कुटुंबियों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
परिजनों द्वारा किया गया दान उनको प्राप्त होता है। पुत्र पौत्र की कर्त्तव्य होता है कि वह अपने पितृ जनो के लिए भक्ति भाव से श्राद्ध तर्पण दान पुण्य करें। यही पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धा है । मान्यता है गया तथा दूसरे तीर्थ क्षेत्र में श्राद्ध तर्पण करने से मृतात्माओ को मोक्ष की प्राप्ति होती है। तथा कुल के लोगों को पितृदोष नहीं लगता।अपने पूर्वजों के आत्मशांति के लिए लोगों ने तीर्थ क्षेत्र में जाकर श्राद्ध तर्पण किये। ऊं पितृगणाय विदम्हे जगत धारणी धीमहि तन्नो पितृॊ प्रचोदयात् । देवताभ्यः पितृभ्यशच महायोगिभ्य एव च। नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः। सभी पितृ पुरूषों के लिए प्रार्थना है हमें अपने आशिर्वाद से अनुग्रहित करे। और अपने पितृलोक में सुख पूर्वक निवास करें। इस आश्य के साथ अश्विनी कृष्ण पक्ष के अमावस्या तिथि को पितृ विसर्जन किया गया। पितृ देवो को विदाई दी गई। नगर लखनपुर सहित आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में पूरे आस्था के साथ पितृ विसर्जन किया गया।