बास के सहारे शव को घर ले जाने का हो रहा वीडियो वायरल पटकुरा घटोंन का मामला
रिपोर्टर मुन्ना पांडेय,सरगुजा : लुण्ड्रा विधानसभा अंतर्गत लखनपुर ब्लाक क्षेत्र के सूदूर वनांचल ग्राम पंचायत पटकुरा के आश्रित ग्राम घटोंन निवासी एक 18 वर्षीय युवक की उपचार के दौरान अंबिकापुर मिशन अस्पताल में मौत हो गई। शव वाहन के ज़रिए से ग्राम पटकुरा तक युवक के शव को लाया गया। बाद इसके ग्रामीणों द्वारा कांधे पर बांस के सहारे युवक के शव को उठाकर उसके घर ले जाया जा रहा था। किसी ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। मिली जानकारी के मुताबिक मृतक युवक का नाम का नाम इसपाल तिग्गा पिता सुरेंद्र तिग्गा उम्र 18 वर्ष निवासी घटोन पटकुरा जो बीमार था परिजनों के द्वारा उपचार हेतु अंबिकापुर मिशन अस्पताल में भर्ती कराया गया था ।जहां ईलाज के दौरान युवक की मौत हो गई। रविवार को शव वाहन के माध्यम से युवक के शव को ग्राम पटकुरा तक लाया गया और खस्ता हाल सड़क होने की वजह से आगे शव वाहन नहीं जा सका। ग्रामीणों ने बास के सहारे कंधे में उठाकर शव को घर तक ले जा रहे थे । जिसका वीडियो बनाकर किसी ने सोशल मीडिया में वायरल कर दिया विदित हो की पिछले वर्ष भी इसी तरीके का मामला पटकुरा क्षेत्र के घटोन चढ़ाई वाले रास्ते में सामने आया था।
एक मृत व्यक्ति को ठीक इसी तरह खाट में ढोकर ले जाया गया था विडियो वायरल हुई थी मामला शासन प्रशासन स्तर तक में काफी चर्चित हुई थी। सूबे में सरकार बदला विधायक बदले परंतु सड़क की हालत नहीं बदली। घटोन वासियों की समस्या जस की तस बनी हुई है। सड़क आभाव में ग्रामीणों को अनेकों प्रकार के परेशानियों का सामना करना पड़ता है। विधायकों और जनप्रतिनिधियों से लंबे समय से ग्रामीण सड़क निर्माण की मांग कर रहे है। आज तक सड़क का निर्माण नहीं हो सका। जिसे लेकर क्षेत्र के ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। गौरतलब है कि ग्राम पटकुरा से 8 किलोमीटर दूरी पर पहाड़ी के उपर घटोन गांव स्तिथ है। जहां लगभग दो दर्जन से अधिक परिवार निवासरत हैं। बदहाल सड़क के कारण गर्भवती महिलाओं बीमार ग्रामीणों को कांवरिया खाट में लेकर ग्राम पटकुरा तक पहुंचते हैं। तब उन्हें वहां से किसी वाहन आदि की सुविधा मिल पाती है। तब अस्पताल तक ले जाते हैं।
इस दौरान गर्भवती महिलाओं अथवा बीमार व्यक्तियों को लाने ले जाने के दरमियान खतरा बना रहता है। खस्ताहाल पगडंडी वाले बदहाल सड़क की वजह से ग्रामीणों को अनेकों प्रकार की समस्याओं से जूझना पड़ता है। ग्रामीणों के द्वारा जनप्रतिनिधियों से कई बार मांग की जा चुकी है। लेकिन आज तक फकत कोरा आश्वासन ही मिला है। इन दो घटनाओं से जो तस्वीर सामने निकल कर आई है। उसने अंतिम छोर के पंक्ति में खड़े व्यक्ति के विकास किये जाने के सारे दावों -वादों की पोल खोलकर रख दी है। तमाम हालातों के बाद ग्रामीण सड़क बनाने की आस लगायें हुये हैं। अब देखने वाली बात होगी कि इन घटनाओं के बाद शासन प्रशासन के द्वारा सड़क निर्माण कार्य कराया जाता है या नहीं यह वक्त आने पर ही मालूम हो सकेगा।