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ईवीएम पर रोना रोने वाले राहुल गांधी को उमर अब्दुल्ला ने खूब सुनाया!

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नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी क्या विपक्षी इंडिया गठबंधन में अलग-थलग पड़ती जा रही है? ये सवाल इसलिए उठे क्योंकि कांग्रेस की ओर से लगातार उठाए जा रहे अडानी मुद्दे पर समाजवादी पार्टी ने अलग रुख अपना लिया। अब ईवीएम के मुद्दे पर इंडिया ब्लॉक के अहम सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने खुद को अलग कर लिया है। दरअसल, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस की ओर से EVM को लेकर उठाई जा रही आपत्ति पर सवाल उठाए। उन्होंने कांग्रेस से दो टूक कहा कि ईवीएम का रोना बंद कर चुनाव नतीजों को कबूल करना चाहिए।

‘EVM का रोना बंद कर चुनाव नतीजों को कुबूल करें’

न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘जब उसी EVM के इस्तेमाल से आपके संसद में सौ से अधिक सदस्य मिलते हैं और इसे आप जीत के रूप में सेलिब्रेट हैं, तो आप चंद महीने बाद जब परिणाण आपके पक्ष में नहीं आएं तो पलट कर उन्हें दोष नहीं दे सकते’ उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि अगर आपको ईवीएम से समस्या है, तो आपको लगातार ये समस्याएं रहनी चाहिए।

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की उमर अब्दुल्ला ने की तारीफ

इस तरह कांग्रेस से अलग राह अपनाते हुए उमर अब्दुल्ला ने नए संसद भवन की प्रशंसा की। यही नहीं उन्होंने ऐसे प्रोजेक्ट की तारीफ की है, जिसकी कांग्रेस ने तीखी आलोचना की थी। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने कहा कि हर कोई जो मानता है उसके विपरीत, मुझे लगता है कि दिल्ली में इस सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के साथ जो हो रहा है वह बहुत अच्छी बात है। मेरा मानना है कि एक नया संसद भवन बनाना एक उत्कृष्ट विचार था। हमें एक नए संसद भवन की आवश्यकता थी। पुराना अपनी उपयोगिता से बाहर हो गया था।

कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस में बढ़ रही दूरियां!

उमर अब्दुल्ला की इस टिप्पणी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के बीच बढ़ते मतभेदों को और उभार कर रख दिया है। उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस के प्रदर्शन पर भी निराशा व्यक्त की, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कैंपेन की अधिकांश जिम्मेदारी उठाई। 90 सदस्यीय विधानसभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस को केवल छह सीटें मिलीं।

इंडिया ब्लॉक में एक और सहयोगी ने कांग्रेस को घेरा

उमर अब्दुल्ला ने INDIA गठबंधन के नेता के रूप में कांग्रेस की भूमिका पर भी निशाना साधा। उन्होंने यह सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस ने अपने नेतृत्व की स्थिति को सही ठहराने के लिए पर्याप्त काम किया है। उन्होंने स्वीकार किया कि कांग्रेस संसद में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पार्टी की ओर से विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी भी मिली है। इस पर कोई दूसरी पार्टी दावा नहीं कर सकती है।

उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस के रवैये पर उठाए सवाल

हालांकि, उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि फिर भी कुछ सहयोगियों के बीच बेचैनी की भावना है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें लगता है कि कांग्रेस इसे सही ठहराने या बनाए रखने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा पा रही। यह ऐसा मुद्दा है जिस पर कांग्रेस को विचार करना चाहिए। उमर अब्दुल्ला ने गठबंधन की छिटपुट भागीदारी की आलोचना करते हुए तर्क दिया कि इसकी गतिविधियां चुनाव से कुछ महीने पहले तक सीमित नहीं रह सकतीं।

विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस लगातार हो रही कमजोर

इससे पहले इंडिया ब्लॉक की दो प्रमुख पार्टियां सपा और टीएमसी ने कांग्रेस को करारा झटका दिया था। देश की मुख्य विपक्षी पार्टी लगातार संसद में अडानी मुद्दा उठा रही। दूसरी ओर, इस दौरान संसद परिसर में प्रोटेस्ट भी किया जा रहा। इसी बीच 4 दिसंबर को जब अडानी मुद्दे पर कांग्रेस ने प्रदर्शन किया तो उसमें टीएमसी और एसपी जैसे दल नजर नहीं आए थे। इसी से सवाल उठने लगे कि क्या कांग्रेस की स्थिति इंडिया ब्लॉक में कमजोर पड़ रही? ये सवाल इसलिए भी उठे क्योंकि ममता बनर्जी की इंडिया ब्लॉक चेहरा बनाने की मांग भी कई पार्टियों से उठी।