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सुबह उठने के बाद फर्श पर पांव रखने से पहले पढ़ें ये 2 मंत्र, दिन भर ऊर्जा कवच करेगा आपकी रक्षा!

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सुबह को शुभ और पूरे दिन को फलदायी बनाने के लिए लोग कई काम करते हैं। इनमें ईश्वर का सुमिरन, प्रार्थना, मंत्र जाप, माता, पिता और गुरु की वंदना और चरण स्पर्श सबसे सबसे अहम माने गए हैं। सुबह की ये आदतें हमारे दिन को सकारात्मक ऊर्जा और सफलता से भर देती हैं। यह हमारी मानसिकता को स्थिर और लक्ष्य की ओर केंद्रित रखने में सहायक होती हैं। यहां दो ऐसे मंत्रों की चर्चा की गई है, बिस्तर छोड़ने के पहले ही पढ़ा और स्मरण किया जाता है। ये बड़े ही शक्तिशाली और असरकारी मंत्र हैं।

मंत्र ऊर्जा बनाते हैं सुरक्षा आवरण का घेरा

यहां जिन 2 मंत्रों की बात की गई, उनके बारे में कहा जाता है, यदि इन दोनों मंत्रों को बिस्तर छोड़ने के पहले पूरी निष्ठा, शुचिता, समर्पण और एकाग्रता से उच्चारण किया जाता है, तो ये शक्तिशाली मंत्र अपनी ऊर्जा से सुरक्षा आवरण का घेरा बनाते हैं। सुबह में इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यह सुरक्षा का घेरा बनाकर मन और शरीर को संरक्षित रखते हैं।

करदर्शनम मंत्र

सनातन धर्म में ‘करदर्शनम मंत्र’ सुबह उठते ही सबसे पहले और बिस्तर पर ही पढ़ा जाता है। यह मंत्र आत्मबल में वृद्धि करता है, जिससे पूरा दिन संचालित होता है। यह देखा गया है कि इस मंत्र के असर से पूरा दिन सुचारु रूप से संपन्न होता है। हमारे हाथ कर्म के कर्ता-धर्ता हैं। हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार, मनुष्य के हाथों में 3 देवी-देवताओं का निवास होता है। धन के देवी लक्ष्मी, विद्या और बुद्धि की देवी सरस्वती और भाग्य लिखने विधाता ब्रह्मा का निवास हाथों में माना गया है।

“कराग्रे वसति लक्ष्मीः, करमध्ये सरस्वती। करमूले तू ब्रह्मा, प्रभाते कर दर्शनम्॥”

करदर्शनम मंत्र के अनुसार, हाथ के अगले भाग में लक्ष्मी, बीच में सरस्वती और हथेली की जड़ के पास ब्रह्मा का स्थान होता है। मान्यता है कि सुबह उठते ही हथेली के अगले भाग, मध्य स्थान और निचले भाग एकाग्रता से देखते हुए इस मंत्र का जाप करते करना चाहिए। कहते हैं कि मंत्र का उच्चारण करते समय हम ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ते हैं और उसका लाभ उठाते हैं। 3, 5 या 11 बार इस मंत्र का नियमित जाप दिन भर मन और तन को सकारात्मक बनाए रखता है।

भूमि देवी वंदना

हमारी संस्कृति में धरती माता को पूजनीय देवी के रूप में माना गया है। धरती हमें भोजन, पानी और रहने की जगह देती है, इसलिए धरती माता का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है। हिन्दू धर्म की एक मान्यता के अनुसार, सुबह जब हम भूमि या फर्श पर पैर रखते हैं, तो उस समय हमें एक दोष लगता है। इसलिए फर्श पर पांव रखने से पहले ‘भूदेवी वंदना मंत्र’ पढ़ते हैं। इस दोष से मुक्ति के लिए पैर रखने से पहले भूमि देवी की वंदना करने और क्षमा मांगने की परंपरा है। यह मंत्र है:

“समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले। विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे॥”

भूमि देवी वंदना मंत्र हमें दिन की शुरुआत सकारात्मक ऊर्जा के साथ करने में मदद करता है। यह हमें नम्र बनाता है और हमें याद दिलाता है कि हम प्रकृति का एक छोटा सा हिस्सा हैं। साथ ही यह भी मान्यता है कि यह हमें नम्र बनाता है और हमें याद दिलाता है कि हम प्रकृति का एक छोटा सा हिस्सा हैं।