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1 करोड़ के इनामी नक्सली का अंतिम संस्कार, आखिर क्यों लोगों ने एक गैंगस्टर को गाजे बाजे के साथ दी अंतिम विदाई ?

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छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में सुरक्षाबलों के हाथों मारे गए एक करोड़ के इनामी नक्सली कमांडर जयराम रेड्डी का अंतिम संस्कार किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था। आंध्र प्रदेश के उसके पैतृक गांव में हुए इस अंतिम संस्कार में लोगों ने लाल झंडे लहराए, गाने गाए, नृत्य किया, और नक्सलवाद को खुला समर्थन दिया।

लाल सलामऔर डांस के साथ अंतिम विदाई

जयराम रेड्डी के अंतिम संस्कार में जुटे स्थानीय लोगों ने नक्सलवाद के समर्थन में “लाल सलाम जिंदाबाद” के नारे लगाए और पारंपरिक गीत गाए। हाथों में लाल झंडे लिए लोग जयराम को नायक मानते हुए उसके योगदान की सराहना कर रहे थे। उसके ससुर लक्ष्मण राव ने कहा कि जयराम संगठन में शामिल होने के बाद कभी घर नहीं लौटा, लेकिन उसकी मौत ने गांव को “हीरो” के अंतिम संस्कार का मौका दिया।

सुरक्षाबलों के लिए सबसे बड़ा दुश्मन

जयराम रेड्डी, जिसे “चलपति” के नाम से भी जाना जाता था, छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में 10 साल से ज्यादा समय तक सक्रिय रहा। वह आत्मघाती हमलों और कई घातक नक्सली ऑपरेशनों का मास्टरमाइंड था। बस्तर के घने जंगलों से वाकिफ जयराम ने सुरक्षाबलों को लंबे समय तक चकमा दिया। उसके ऊपर एक करोड़ रुपए का इनाम घोषित था। 2014 से वह नक्सल संगठन का प्रमुख चेहरा बन चुका था और सुरक्षाबलों के खिलाफ दर्जनों हमलों को अंजाम दिया।

फोन से मिली पहचान

जयराम की पहचान 2020 में एक नक्सली के फोन में मिले फोटो से हुई थी। इसमें जयराम और उसकी पत्नी अरुणा की तस्वीरें थीं। अरुणा भी नक्सल संगठन की डिप्टी कमांडर है। जयराम ने 37 साल छोटी अरुणा से शादी की थी, जो आंध्र-ओडिशा सीमा पर सक्रिय थी। जयराम के अंतिम संस्कार में हुई लाल झंडों की धूम और नक्सली विचारधारा का खुलेआम समर्थन कई सवाल खड़े करता है। यह घटना नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में उनकी गहरी जड़ों और विचारधारा के प्रचार को दिखाती है।