रायपुर: छत्तीसगढ़ शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद अरुणपति त्रिपाठी को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने अरुणपति त्रिपाठी को जमानत दी है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख तेवर दिखाते हुए ई़डी को फटकार भी लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है कि जब संज्ञान रद्द हो गया तो भी आरोपी जेल में क्यों रहेगा। सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद भी अरुणपति त्रिपाठी की जेल से रिहाई संभव नहीं है। शराब घोटाले से जुड़े अन्य मामलों में उन्हें जमानत नहीं मिली है।
अरुणपति त्रिपाठी भूपेश सरकार के कार्यकाल में आबकारी विभाग के एमडी थे। 2100 करोड़ रुपए से ज्यादा के शराब घोटाले और मनी लॉंड्रिंग मामले में उन्हें आरोपी बनाया गया है। जमानत के लिए अरुणपति त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। त्रिपाठी एक साल से जेल में बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट से उन्हें मनी लॉड्रिंग मामले में जमानत मिली है। जबकि शराब घोटाले में वह अभी भी जेल में रहेंगे।
यह है मामला
छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला मामले में मनी लॉड्रिंग का आरोप लगाते हुए ईडी ने अन्य आरोपियों के साथ अरुण पति त्रिपाठी को 8 अगस्त 2024 को गिरफ्तार किया था। अरुणपति त्रिपाठी के खिलाफ पूरक अभियोजन परिवाद ईडी के रायपुर स्थित विशेष न्यायालय में 5 अक्टूबर 2024 को दायर की गई थी। ईडी कोर्ट ने उसी दिन ही इस मामले पर संज्ञान लिया था। लेकिन 7 फरवरी 2025 को हाईकोर्ट छत्तीसगढ़ ने इस मामले में अरुणपति त्रिपाठी के खिलाफ पीएमएलए कोर्ट द्वारा लिए संज्ञान को रद्द कर दिया।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
जस्टिस ओक और जस्टिस भुयान ने ईडी से सवाल किया-“यदि संज्ञान रद्द हो गया तो आरोपी को जेल में क्यों रहना चाहिए। PMLA की थ्योरी यह नहीं हो सकती कि, व्यक्ति जेल में रहेगा ही। संज्ञान रद्द होने के बाद भी व्यक्ति जेल में है, इसे क्या कहा जाना चाहिए। हमने यह भी देखा कि आपने हमें खुद से यह सूचना नहीं दी।”