देशभर में बढ़ते प्रदूषण और प्लास्टिक कचरे की समस्या को देखते हुए, छत्तीसगढ़ की केन्द्रीय जेल बिलासपुर ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक नई मिसाल कायम की है. जेल प्रशासन ने इसे प्लास्टिक मुक्त और ईको-फ्रेंडली बनाने के लिए \”हरित जेल अभियान\” की शुरुआत की है. इस पहल के तहत, जेल को स्वच्छ, हरित और आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई नवाचार किए जा रहे हैं, जिससे यह न केवल कैदियों के सुधार का केंद्र बने, बल्कि पर्यावरण के प्रति भी एक जिम्मेदार संस्थान के रूप में पहचाना जाए.
जल अधीक्षक खोमेश मंडावी ने बताया कि जेल प्रशासन ने प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए एक अनूठा समाधान निकाला है. बंदियों और उनके परिवारों द्वारा प्लास्टिक कचरे को एकत्र कर उसे प्लास्टिक बॉटलों में भरकर ईको-ब्रिक्स बनाई जा रही हैं. अब तक 3,228 ईको-ब्रिक्स तैयार की जा चुकी हैं, जिससे लगभग 8 एकड़ भूमि को प्लास्टिक प्रदूषण से बचाया गया है. इन ईको-ब्रिक्स का उपयोग जेल परिसर के सौंदर्यीकरण और निर्माण कार्यों में किया जा रहा है.
बायो-एंजाइम: स्वच्छता का पर्यावरण अनुकूल समाधान
रासायनिक सफाई उत्पादों के स्थान पर जेल में बायो-एंजाइम का उत्पादन किया जा रहा है, जो पूरी तरह से प्राकृतिक और पर्यावरण हितैषी है. अब तक 1,072 लीटर बायो-एंजाइम तैयार किया जा चुका है.जो जेल परिसर की स्वच्छता में एक कारगर और टिकाऊ विकल्प प्रदान कर रहा है.
वर्मी कम्पोस्ट: जैविक कचरे का पुनः उपयोग
जेल परिसर में स्थित गौशाला से प्राप्त गोबर और अन्य जैविक कचरे से वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया जा रहा है. इससे जैविक खेती और बागवानी को बढ़ावा मिल रहा है. इस प्राकृतिक खाद का उपयोग जेल के अंदर ही हरियाली बढ़ाने के लिए किया जा रहा है.
हरित पहल: ऑक्सीजोन में बदलेगा जेल परिसर
जेल को पूरी तरह से हरित क्षेत्र में बदलने के लिए प्रशासन कई और कदम उठा रहा है, जिनमें शामिल हैं, प्लास्टिक रिसाइक्लिंग और कचरा प्रबंधन, जल संरक्षण के लिए विशेष प्रयास, हानिकारक गतिविधियों पर रोक, सघन पौधरोपण अभियान, भविष्य में जेल परिसर में हर्बल गार्डन और औषधीय पौधों का रोपण भी किया जाएगा, जिससे यह क्षेत्र एक ऑक्सीजोन के रूप में विकसित हो सके.
पर्यावरण संरक्षण के प्रति एक नई सोच
केन्द्रीय जेल बिलासपुर की यह पहल दिखाती है कि यदि सही दिशा में प्रयास किए जाएं, तो किसी भी स्थान को हरित और पर्यावरण-अनुकूल बनाया जा सकता है. जेल प्रशासन का मानना है कि यह अभियान न केवल प्रकृति की रक्षा करेगा, बल्कि बंदियों को भी स्वच्छ और हरित जीवनशैली की ओर प्रेरित करेगा.