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क्या है नेचुरल फार्मिंग मिशन, कितना है बजट और क्या हैं इसके फायदे?

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एक बार फिर से देश में प्राकृतिक खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ने लगा है. वहीं, इसे बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने भी एक बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग (NMNF) की घोषणा की है. इस अभियान को पूरे देश में किसानों तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. इस अभियान का मकसद है देश में अधिक से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ना ताकि केमिकल फ्री खेती को बढ़ावा दिया जा सके. बता दें कि इस मिशन के जरिए सरकार प्राकृतिक खेती में देश के एक करोड़ किसानों को जोड़ेगी और उन्हें ट्रेनिंग देगी. इसके लिए किसानों को और भी कई तरह की सुविधाएं दी जाएंगी ताकि वे रासायनिक खादों से हटकर प्राकृतिक खादों का इस्तेमाल बढ़ा सकें.

क्या है नेचुरल फार्मिंग?

नेचुरल फार्मिंग यानी प्राकृतिक खेती कृषि की एक पुरानी पद्धति यानी तकनीक है. इसका इस्तेमाल जमीन के प्राकृतिक रूप को सही बनाने के लिए किया जाता है. नेचुरल फॉर्मिंग में केमिकल फर्टिलाइजर और कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं होता है. बल्कि इसके नेचुरल एलिमेंट और बैक्टीरिया के इस्तेमाल से खेती की जाती है. यह खेती पर्यावरण को सही रखने के साथ-साथ फसलों की लागत में भी कमी लाती है. प्राकृतिक खेती में कीटनाशकों के तौर पर नीमास्त्र, नीम पेस्ट, गोमूत्र, गोबर का इस्तेमाल होता है. इससे खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य भी अच्छा होता है. साथ ही इसकी वजह से फसल को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है.

इतने करोड़ रुपये है बजट

नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग (NMNF) योजना 15वें वित्त आयोग (2025-26) तक कुल 2481 करोड़ रुपये के बजट के साथ शुरू की गई है. इसमें भारत सरकार का हिस्सा 1584 करोड़ रुपये और राज्य का हिस्सा 897 करोड़ रुपये होगा. यह योजना किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने में मदद करेगी. इससे रसायन मुक्त भोजन मिलेगा. यानी हर किसी को फायदा होगा. साथ ही किसानों की लागत कम होगी. इस मिशन के तहत किसानों को प्रशिक्षण और संसाधन दिए जाएंगे.

क्या है मिशन का मकसद

एनएमएनएफ का मकसद है किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ना. इस मिशन के जरिए देश के किसान को उसके लोकल इलाके की खेती और उसकी पद्धतियों से जोड़ा जाएगा. वहीं, किसान अगर अपने स्थानीय तौर-तरीकों से खेती करेंगे तो उसमें सफलता मिलने की गुंजाइश ज्यादा रहेगी. यहां तक कि किसान जब अपने पारंपरिक स्रोत की सहायता से खेती करेंगे तो उसमें कामयाबी की गुंजाइश ज्यादा रहेगी. इस योजना के तहत अगर किसी छोटी जोत वाले किसान को ट्रैक्टर की जगह हल-बैल की खेती सही लगती है तो उसके लिए ही बढ़ावा दिया जाएगा.

1 करोड़ किसानों का लक्ष्य

NMNF मिशन टिकाऊ और जलवायु के अनुकूल खेती को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया है, जिससे किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को फायदा होगा. बता दें कि इस मिशन के तहत अगले दो सालों में NMNF को 15,000 ग्राम पंचायतों में लागू किया जाएगा, जो इसके लिए तैयार हैं. इसका लक्ष्य 1 करोड़ किसानों तक पहुंचना और 7.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती शुरू करना है. इसमें ऐसे क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी जहां पहले से ही प्राकृतिक खेती करने वाले किसान, स्वयं सहायता समूह (SHG), प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां (PACS) और किसान उत्पादक संगठन (FPO) मौजूद हैं.