बिलासपुर : जरा सोचिए… अस्पताल बना ही नहीं, लेकिन वहां डॉक्टरों की भर्ती पूरी कर दी गई. ना इमारत, ना मरीज, ना इलाज की जगह तय की गई. फिर भी वेतन में 11 करोड़ खर्च करने का बड़ा आरोप लग जाए तो आप क्या कहेंगे. ये सिस्टम की नाकामी है या घोटाले का कोई बड़ा खेल? ये हैरान करने वाला मामला छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले से सामने आया है. सिम्स के ट्रॉमा सेंटर की ये हकीकत चौंकाने वाली है.
सिम्स बिलासपुर संभाग का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है. 2011 में ट्रॉमा सेंटर की मंजूरी मिली थी, लेकिन 14 साल बाद भी इमारत नहीं बन पाई, सिर्फ फाइलें खंगाली गईं. 10 करोड़ की योजना बनी, 2.62 करोड़ के उपकरण और 7.50 करोड़ की बिल्डिंग प्रस्तावित थी, लेकिन हैरानी ये कि अस्पताल की जमीन तक तय नहीं हुई.
अस्पताल में चौंकाने वाला घोटाला
अस्पताल के पास न जमीन, न बिल्डिंग, फिर भी 11 सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों की भर्ती कर दी गई. आरोप है कि अब तक 11.03 करोड़ रुपये सिर्फ वेतन में खर्च कर दिए गए, लेकिन इलाज के नाम पर ट्रॉमा सेंटर आज भी सिर्फ सरकारी कागजों में सिमटा हुआ है.
सिम्स में ट्रॉमा यूनिट न होने की सबसे बड़ी कीमत घायलों को चुकानी पड़ रही है. इलाज के लिए मरीजों को निजी अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है, जहां सुविधाएं तो हैं, लेकिन डॉक्टरों की कमी बनी हुई है.
2022 में 1423 सड़क हादसे हुए, 334 लोगों की मौत और 1095 घायल2023 में 1511 हादसों में 364 जानें गईं2024 में अब तक 1346 सड़क हादसे हो चुके हैं, जिनमें 348 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.
लेकिन इतने बड़े आंकड़े भी सिम्स में ट्रॉमा यूनिट को हकीकत में नहीं बदल सके. ये योजना आज भी सिर्फ कागजों और सरकारी दावों तक सिमटी हुई है. इधर सिम्स प्रबंधन ने भी सफाई पेश की है. सिम्स के डीन डॉ. रमणेश मूर्ति का कहना है कि मौजूदा बिल्डिंग में ट्रॉमा सेंटर बनाने की अनुमति पीडब्ल्यूडी ने नहीं दी थी. हाल ही में भारत और राज्य सरकार के अधिकारियों से चर्चा हुई है और नए परिसर में ट्रॉमा यूनिट खोलने की अनुमति मांगी गई है. स्वीकृति मिलते ही कोनी में ट्रॉमा सेंटर बनाए जाने की बात कही जा रही हैं.
ट्रॉमा सेंटर के नाम पर 14 साल से सिर्फ फाइलें आगे बढ़ीं, लेकिन हकीकत में कुछ नहीं बदला. अस्पताल की जमीन तक तय नहीं हुई, लेकिन डॉक्टरों की भर्ती पूरी कर दी गई. मरीजों को इलाज नहीं मिला, लेकिन वेतन में करोड़ों खर्च कर दिए गए. सिम्स का ये ट्रॉमा सेंटर बना तो नहीं, लेकिन इसका ट्रॉमा अब सरकार के लिए बड़ा सवाल बन गया है.