रायगढ़ : लामीदरहा में शासकीय आवंटन जमीन की अवैध खरीद-बिक्री मामले में पटवारी ने जांच करके प्रतिवेदन सौंपा था। बताया जा रहा है कि एसडीएम ने तहसीलदार को प्रतिवेदन वापस कर दिया। इसमें पटवारी से अभिमत मांगा गया है। अब तो लामीदरहा का पटवारी भी बदल गया है। जांच रिपोर्ट को अभिमत के साथ प्रस्तुत करने को कहा गया है।लामीदरहा में खसरा नंबर 34 राजस्व अभिलेखों में बड़े झाड़ के जंगल और शासकीय भूमि के रूप में दर्ज थी।
यह जमीन बहुत सारे राज समेटे हुए हैं। सरकार ने जीवन-यापन के लिए भूमिहीनों को जमीन दी थी लेकिन अब इसके मालिक दूसरे लोग हो गए। नियमतः शासकीय पट्टे की भूमि को बिना कलेक्टर की अनुमति के नहीं बेचा जा सकता, लेकिन एक भी टुकड़ा अब प्रारंभिक आवंटियों का नहीं रहा।
एसडीएम ने महीनों पहले इसकी जांच के आदेश दिए थे लेकिन अभी तक यह पूरी नहीं हो सकी है। इस खसरा के 24 टुकड़े हो चुके हैं। पटवारी ने जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था जिसे एसडीएम ने वापस कर दिया। कहा जा रहा है कि पटवारी ने किस खसरा नंबर की कब किसके नाम रजिस्ट्री हुई, इसकी जानकारी दी थी लेकिन अभिमत नहीं होने के कारण इसे वापस किया गया। इसी खसरे की एक जमीन को बेचने की अनुमति कलेक्टर न्यायालय से मांगी गई थी लेकिन प्रकरण निराकृत होने से पहले ही दूसरे को जमीन बेच दी गई
खसरा नंबर 34 की शासकीय भूमि रकबा कुल रकबा 29.388 हे. था। 72.62 एकड़ में से एक टुकड़ा खनं 34/16 रकबा 0.6070 हे. को गरहन चौहान को आवंटित किया गया था। इस जमीन को मनोज गुप्ता पिता स्व. चंद्रप्रकाश गुप्ता निवासी बैकुंठपुर को बेचने के लिए गरहन ने कलेक्टर के समक्ष अर्जी लगाई थी। 5 अप्रैल 2023 को कलेक्टर न्यायालय में प्रकरण दर्ज हुआ। कलेक्टर ने प्रकरण दर्ज कर प्रतिवेदन के लिए एसडीएम रायगढ़ को भेजा। एसडीएम रायगढ़ ने तत्कालीन तहसीलदार को प्रकरण भेजा। तहसीलदार ने प्रतिवेदन भेजने के बजाय खुद बिक्री नकल देने के लिए प्रकरण दर्ज किया। 9 फरवरी 2024 को पटवारी जलंधर सिदार को बिक्री नकल देने का आदेश दिया। 4 मार्च 2024 को गरहन चौहान ने जमीन मुकुल कुमार सिन्हा निवासी कोरबा और प्रदीप पटेल निवासी लेंध्रा बरमकेला को बेच दी।
लामीदरहा में खसरा नंबर 34 अभिलेखों में बड़े झाड़ के जंगल और रक्षित वन के रूप में दर्ज था। मूल खसरा नंबर 34 की कुल भूमि 40 हेक्टेयर थी। इसमें केवल 34/1 छग शासन 28.5790 हे. भूमि ही शासकीय के रूप में दर्ज है। खनं 34/23 रकबा 0.8090 हे. छग शासन शासकीय भूमि पट्टेदार परशु पिता पेटू रूप में दर्ज है। 34/2 महेत्तर सिंह, 34/3 रघुवर पटवा, 34/4 विमला जौजा नामो, 34/5 घसनीन पिता गंजहा, 34/6 बिछलू पिता मनीराम, 34/7 टेटकू, संतोष, मनबोध, 34/8 गुरबारू पिता जयराम, 34/9 नीला, मनीराम, कौशल्या, सुमित्रा आदि, 34/10 गंगाधर, सव्या, जानकी, 34/11 मोनार्च अग्रवाल पिता सुभाष अग्रवाल, 34/12 व 34/13, 34/14 विनोद पिता महावीर प्रसाद अग्रवाल, 34/15 भोलाराम पिता घासीराम, 34/16 मुकुल सिन्हा पिता वाईके सिन्हा, प्रदीप पटेल, 34/15, 34/17, 34/20 शैलेष सतपथी, बासु मालाकार, यावर हुसैन, सुलेमान अली (पूर्व भूमि स्वामी बरतराम पिता चैतराम), 34/18, 34/22 प्रसन्न कुमार देवता (पूर्व भूमिस्वामी पंकज अग्रवाल), 34/19, 34/21, 34/24 रघुवर प्रसाद पटवा।
पटवारी ने प्रतिवेदन दिया था। एसडीएम ने अभिमत के साथ दोबारा प्रतिवेदन देने का आदेश दिया है।
शिव डनसेना, तहसीलदार