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DME की नियुक्ति पर नेता प्रतिपक्ष ने उठाए सवाल, कहा- विवादित अफसरों को ही क्यों सौंपी जाती है इतनी बड़ी जिम्मेदारी?

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 भोपाल :डॉ. अरुणा कुमार को DME (डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन) बनाया गया है. इसके बाद से जूनियर डॉक्टर्स और मेडिकल टीचर्स में काफी नाराजगी है. उन्होंने सरकार को 24 घंटे में आदेश निरस्त करने की चेतावनी दी है.

शनिवार को हमीदिया अस्पताल परिसर में चिकित्सकों ने विरोध प्रदर्शन भी किया. वहीं अब नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी चिकित्सकों की मांग का समर्थन किया और DME की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं.

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने अपने एक्स अकाउंट में लिखा- पहले नर्सिंग घोटाले में संलिप्त रहे डॉ. जितेंद्र शुक्ला को डीएमई नियुक्त किया गया और मेरे द्वारा सवाल उठाने के तत्काल बाद उन्हें हटा दिया गया. लेकिन अब एक पीजी डॉक्टर की आत्महत्या के बाद विवादों में आईं डॉ. अरुणा कुमार को डीएमई की कुर्सी पर बैठा दिया गया है. आदेश जारी होते ही जूडा, एमटीए समेत पूरा मेडिकल सेक्टर विरोध में उतर आया है.

पूरा घटनाक्रम:

उमंग सिंघार ने DME की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए लिखा- आखिर सरकार की मंशा क्या है? क्या प्रदेश की मेडिकल शिक्षा व्यवस्था को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है? हर बार ऐसे विवादित और असंवेदनशील अफसरों को ही इतनी बड़ी जिम्मेदारी क्यों सौंपी जाती है? भाजपा सरकार को यह समझना चाहिए कि मेडिकल छात्र कोई प्रयोगशाला का हिस्सा नहीं, बल्कि देश का भविष्य हैं!

दरअसल, डॉ. अरुणा पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और गाली गलौज करने आरोप लगे हैं. डॉ अरुणा कुमार का विवादों से पुराना नाता रहा है, दो बार उन्हें गांधी मेडिकल कॉलेज के गायनी डिपार्टमेंट के HOD पद से हटना भी पड़ा था. वहीं एक बार उन्हें डीन पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था. डॉ अरुणा कुमार को हटवाने के लिए मेडिकल टीचर्स डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला से भी मुलाकात कर चुके हैं. बीते सालों डॉ. अरुणा कुमार के कार्यकाल में एक महिला जूनियर डॉक्टर ने आत्महत्या की थी और आरोप लगाया था कि उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था.