आज के समय में खेती को व्यवसाय के रूप में अपनाना एक बहुत ही अच्छा और लाभकारी विचार हो सकता है, खासकर जब बात जैविक खेती की हो. जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह किसानों के लिए भी एक स्थिर और अच्छा आय का स्रोत बन सकती है. जैविक खेती का मतलब है बिना रासायनिक खाद और कीटनाशकों के खेती करना, जिससे न केवल मिट्टी की सेहत बनी रहती है, बल्कि उपज भी ज्यादा स्वास्थ्यवर्धक होती है.
अगर आप खेती में नया व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, तो जैविक खेती आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है.
जैविक खेती के फायदे (Benefits of Organic Farming)
जैविक खेती के कई फायदे हैं, जो इसे पारंपरिक खेती से अलग बनाते हैं. सबसे पहला फायदा यह है कि जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता, जिससे खेतों की मिट्टी की सेहत बेहतर रहती है. इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता बनी रहती है और लंबे समय तक खेती करना संभव होता है. दूसरा फायदा यह है कि जैविक उत्पादों की मांग बाजार में तेजी से बढ़ रही है. लोग अब स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो गए हैं और जैविक उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं. इसके अलावा, जैविक खेती पर्यावरण के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है क्योंकि इसमें रासायनिक पदार्थों से होने वाली प्रदूषण की समस्या नहीं होती.
लेखराम यादव का सफलता की कहानी
राजस्थान के कोटपूतली क्षेत्र में रहने वाले लेखराम यादव जैविक खेती के एक सफल उदाहरण बन चुके हैं. लेखराम यादव ने अपनी खेती की शुरुआत 120 एकड़ से की थी, लेकिन आज वह 550 एकड़ से ज्यादा जमीन पर जैविक खेती कर रहे हैं. जब लेखराम ने खेती शुरू की थी, तो उन्होंने निर्णय लिया कि वह जैविक खेती (Organic Farming) करेंगे, क्योंकि यह तरीका पर्यावरण के लिए अच्छा था और उन्हें विश्वास था कि इससे उन्हें अच्छे परिणाम मिलेंगे. हालांकि, शुरुआत में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा और जैविक खेती से उतने अच्छे परिणाम नहीं मिल रहे थे, जितने उन्होंने उम्मीद की थी.
लेकिन लेखराम ने हार नहीं मानी और अपनी खेती के तरीकों में सुधार करना जारी रखा. उन्होंने यूट्यूब पर जैविक खेती और उन्नत तकनीकों के बारे में वीडियो देखे, और इसमें उन्हें ताराचंद बेलजी तकनीक (TCBT) के बारे में जानकारी मिली. यह तकनीक ऊर्जा विज्ञान पर आधारित थी, जो पौधों के लिए सकारात्मक, नकारात्मक और न्यूट्रल ऊर्जा के संतुलन को पहचानकर नैनो टेक्नोलॉजी के जरिए पौधों के लिए लाभकारी बनाती है. यह तकनीक लेखराम को बहुत प्रभावित की और उन्होंने इसे अपनी खेती में लागू करने का निर्णय लिया.
TCBT तकनीक का प्रभाव
लेखराम यादव ने ताराचंद बेलजी तकनीक को अपनाया, जिसके बाद उनकी खेती में जबरदस्त बदलाव आए. उन्होंने देखा कि इससे न केवल पौधों की वृद्धि में तेजी आई, बल्कि उनकी फसलों का स्वास्थ्य भी बेहतर हुआ. इसके बाद उन्होंने वृक्षायुर्वेद का फार्मूला भी अपनाया, जो जैव रसायन और भस्म रसायन पर आधारित था. इस फार्मूले का उपयोग करने से उनकी फसलों ने अद्भुत परिणाम दिए. इस बदलाव ने लेखराम की खेती को एक नई दिशा दी और उन्हें सफलता की ओर मार्गदर्शन किया.
विविधता में सफलता
लेखराम यादव की खेती में एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि उन्होंने खेती में विविधता को अपनाया. वह केवल एक ही प्रकार की फसल नहीं उगाते, बल्कि उन्होंने अपनी जमीन पर विभिन्न प्रकार की सिजनल क्रॉप्स की खेती शुरू की. इनमें गेहूं, चना, सरसों, बाजरा जैसे सामान्य कृषि उत्पाद शामिल हैं. इसके साथ ही, लेखराम ने मसालों की खेती भी शुरू की, जैसे जीरा, कस्तूरी मेथी और मिर्च. इन फसलों की अच्छी पैदावार ने उन्हें बड़ा फायदा दिलाया और उन्होंने इनका उत्पादन बड़े पैमाने पर करना शुरू किया.
फल और सब्जियों की खेती
लेखराम यादव की खेती में सब्जियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है. वह लगभग 60 से 70 एकड़ जमीन पर सब्जियों की खेती करते हैं, जिसमें टमाटर, आलू, गाजर, शिमला मिर्च और अन्य सब्जियां शामिल हैं. इसके अलावा, उन्होंने आम, अमरूद, पपीता और अन्य प्रमुख फलों की खेती भी शुरू की है. उनके खेतों में उगाए गए फल और सब्जियां पूरी तरह से जैविक होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होते हैं.
जैविक खेती से बड़ा लाभ
लेखराम यादव की मेहनत और समर्पण का परिणाम यह है कि उनका सालाना टर्नओवर अब 17 करोड़ रुपए से भी ज्यादा हो चुका है. उनकी सफलता यह साबित करती है कि अगर खेती में सही तकनीकों का उपयोग किया जाए और मेहनत से काम किया जाए, तो कोई भी किसान एक सफल व्यवसायी बन सकता है. जैविक खेती (Organic Farming) न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह किसानों के लिए भी एक शानदार व्यापार अवसर बन सकती है.