रायगढ़ : रायगढ़ नगर निगम के भूतपूर्व आयुक्त प्रमोद कुमार शुक्ला के खिलाफ राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अभियोजन की अनुमति दे दी है। यह अनुमति करीब नौ साल बाद दी गई है। शुक्ला के खिलाफ 2016 में कोतवाली में आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया था। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अफसरों पर कार्रवाई करने में सरकार के भी हाथ कांपते हैं। एफआईआर दर्ज होने के बाद भी नौ साल तक सरकार ने अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी थी। 2016 में तत्कालीन निगम आयुक्त प्रमोद शुक्ला का कार्यकाल बेहद चर्चित रहा था। तत्कालीन कलेक्टर से उनका टकराव भी सुर्खियों में रहा।
उनके कार्यकाल में नगर निगम में वित्तीय लेन-देन में गड़बडिय़ां, टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताएं और सरकारी फंड के दुरुपयोग से जुड़ी शिकायतें सामने आई थीं। तत्कालीन कलेक्टर ने इसकी जांच करवाई थी, जिसके बाद कोतवाली में धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किया गया था। इस आपराधिक प्रकरण में अभियोजना की अनुमति नौ साल बाद दी गई है। प्रमोद शुक्ला अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उनके कार्यकाल में हुई कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच अब भी चल रही है।
राज्य सरकार के विधि एवं विधायी विभाग के प्रमुख सचिव को इस मामले में अभियोजन की अनुमति देने संबंधी फाइल भेजी गई थी, जिस पर हाल ही में मंजूरी प्रदान की गई है। अब संबंधित जांच एजेंसियां प्रमोद कुमार शुक्ला के खिलाफ औपचारिक रूप से केस दर्ज करने और अदालत में चार्जशीट दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू करेंगी। भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मामलों में सेवानिवृत्ति के बाद भी अभियोजन होता है।
अदालत में एफआईआर खारिज करने की याचिका
अपराध पंजीबद्ध होने के बाद प्रमोद शुक्ला ने हाईकोर्ट में एफआईआर खारिज करने की मांग रखते हुए याचिका दायर की थी, लेकिन अदालत ने पुलिस को चार सप्ताह में जांच पूरी करने का निर्देश दिया था। शुक्ला को अग्रिम जमानत मिल चुकी थी। इस मामले में अब अदालत के समक्ष साक्ष्य और दस्तावेजी प्रमाण प्रस्तुत किए जाएंगे। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो शुक्ला को जेल के साथ-साथ उनकी पेंशन पर भी असर पड़ सकता है।