सहारनपुर जिले के किसान विभिन्न किस्मों के उच्च गुणवत्ता वाले धान की खेती करते हैं, जिनकी मांग देश-विदेश में है. किसान अगर गेहूं की फसल के बाद धान की रोपाई करना चाहते हैं, तो उन्हें सबसे पहले एक मजबूत और रोगरहित नर्सरी तैयार करनी चाहिए.
2/5बीज चयन के बाद उसका शोधन जरूरी होता है. विशेषज्ञों के अनुसार, नमक और कीटनाशी रसायनों का उपयोग बीज को रोगों से मुक्त करने के लिए आवश्यक है. यह प्रक्रिया न केवल बीज की गुणवत्ता बढ़ाती है, बल्कि नर्सरी और मुख्य खेत दोनों में फसल की वृद्धि बेहतर बनाती है.
3/5कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. आई.के. कुशवाहा के अनुसार, बीज शोधन की सही तकनीक अपनाने से न केवल अंकुरण बेहतर होता है, बल्कि बीमारियों की संभावना भी कम हो जाती है.
4/510 लीटर पानी में 200 ग्राम नमक मिलाएं. 3 किलो धान का बीज इस घोल में डालें.तैरते हुए बीज (खराब) हटा दें. शेष बीज को साफ पानी से धोकर, कार्बेंडाजिम और मैनकोज़ेब (5 ग्राम/लीटर) के घोल में 10 घंटे के लिए भिगो दें.
5/5फिर बीज को अंकुरण के लिए फैला दें और अंकुरित होने पर नर्सरी में बो दें. उपज बढ़ाने का सरल और प्रभावी तरीका। इस विधि को अपनाकर किसान अच्छी और रोगमुक्त फसल प्राप्त कर सकते हैं. बीज का समय से उपचार न केवल नर्सरी की गुणवत्ता बढ़ाता है, बल्कि धान की मुख्य फसल में भी शानदार उत्पादन सुनिश्चित करता है.