रायपुर : अमित मालवीय के पोस्ट को लेकर हंगामा हो गया है, इसमें कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेट की एंट्री हुई, अमित मालवीय, BJP & बकलोल भक्त,
तुम्हारी समस्या यह है कि तुम हमेशा इस देश के ख़िलाफ़ ही खड़े रहोगे
असल में दोष तुम्हारे DNA का है
• आज़ादी के दौरान अंग्रेजों के साथ थे सावरकर, तुम्हारे पुरखे
• भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मुस्लिम लीग के साथ सरकार चला रहे थे श्यामाप्रसाद मुखर्जी, तुम्हारे आराध्य
जिन्नाह की कब्र पर जाने वाले आडवाणी जी, तुम्हारे नेता
• लाहौर बस यात्रा करने वाले अटल जी, तुम्हारे नेता
• नवाज़ शरीफ की बर्थडे मनाने लपके गए नरेंद्र मोदी, तुम्हारे नेता
• ISI को पठानकोट आने की अनुमति देने वाले नरेंद्र मोदी, तुम्हारे नेता
• हमारी सेना की मुखबिरी करने वाले विदेश मंत्री जयशंकर, तुम्हारे नेता
• भारतीय सेना पाकिस्तान को नेस्तनाबूद कर रही थी – उसी समय अमेरिका के दबाव में ceasefire करने वाले नरेंद्र मोदी, तुम्हारे नेता
दम होता तो इंदिरा जी की तरह पाकिस्तान के दो टुकड़े करते
और एक ज़रूरी बात, पहलगाम के आतंकी हमले के आरोपी अभी तक आज़ाद घूम रहे हैं
लड़ाई लड़नी थी पाकिस्तान से, मोर्चा खोला हुआ है विपक्ष के नेता के साथ – तुम्हारी इतनी ही हैसियत है
तुम बस ट्विटर पर बकलोली करने के ही लायक हो – 2 टके के नफ़रती चिंटू!
वैसे मर्यादा पर ज्ञान देने वाले मीडिया के चरणचुंबक कहाँ ग़ायब हैं? मुँह में दही क्यों जम गई?
जवाब में सीएम साय के मिडिया सलाहकार ने लिखा, मिसेज सुप्रिया, चाहा तो यह था कि शिष्टता से जवाब दिए जायें लेकिन जैसी भाषा है, जवाब भी उसी भाषा में दिया जाना आवश्यक है। फिर भी कोशिश करता हूं कि यथासंभव शालीनता से जवाब दें।
तो सुनो मदाम, आपकी समस्या यह है कि आप हमेशा अपने विभाजनकारी इतिहास पर कायम रहेंगी, तभी अस्तित्व बचेगा आपका। देश को केक की तरह टुकड़े कर देने वाली आपकी पार्टी कभी देश का भला नहीं कर सकती है।
असल में दोष ए. ओ. ह्यूम वाली पैदाइश का है।
– सावरकरजी के खिलाफ बोलने पर हाल में भी आपके मालिक को सुप्रीम कोर्ट ने ‘हाथ छाप’ जड़ दिया है, यह भी चेतावनी दी है कि अगर आगे से मालिक ने बोला हुतात्मा सावरकर के बारे में तो स्वतः संज्ञान लेकर कोर्ट दंडित करेगा। फिर भी गाल बजाने से बाज नहीं आती आप?
– आज तक भारत में मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन कर के वोट कबाड़ने पर शर्म नहीं आती। जिन्नाह की पार्टी का बनातवाला आपके आराध्य? कुतर्क यह कि ये मुस्लिम लीग अलग है, लेकिन कांग्रेस वही आझाडी वाली है? कहां से लाती हैं ऐसा दोहरापन?
– जिन्नाह के साथ मिल कर देश बांटने और उसके कारण हुए लाखों नृशंस कत्ल की जिम्मेदारी से क्या बच सकोगी आप? इतिहास माफ कर देगा क्या?
– कश्मीर के एकीकरण के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले डॉक्टर मुखर्जी की जेल में हुई संदिग्ध मृत्यु – जिसके लिये उनकी मां योगमाया देवी ने सीधे आपके हुजूर नेहरू को जिम्मेदार ठहराया था, उस जिम्मेदारी से मुंह मोड़ने देगा इतिहास आपको?
– कश्मीरी पंडितों की नृशंस हत्या के जिम्मेदार आतंकी से पीएम हाउस में मिल कर गलबहियां करने का वाकया भूल गई? बाटला हाउस पर रोने वाली आपकी बॉस को याद नहीं करना चाहोगी? मुंबई हमले के बाद बार-बार कपड़े बदलते आपके गृह मंत्री, या वहां फिल्म बना कर अपने बेटे को हीरो सेट करने वाले अपने सीएम को भूल गयी? उसे हिंदू आतंक सिद्ध करने की अपने पार्टी नेताओं की कोशिश पर जरा भी शर्मिंदा नहीं हो आप?
– सियाचीन में घास का तिनका तक नहीं उगता वाले अपने नेता के बयान से कोई दिक्कत नहीं है न आपको? इतनी मोटी खाल कांग्रेस की?
– चीन से बुरी तरह शिकस्त करा देने वाले और उससे पहले हिन्दी-चीनी भाई-भाई का नारा लगाने वाले आपके आराध्य का ध्यान करो कृपया? चीन से गतिरोध की स्थिति में चुपके-चुपके उसके राजनयिक से मिलने वाले आपके बॉस, एमओयू की बातें क्या शंखपुष्पी पिला कर याद दिलाना होगा?
– जिस नेपाल के रास्ते आज आतंकी आ रहे हैं, वह तश्तरी में सौंप कर भारत को मिल रहा था, उसे लेने से इनकार कर भारत की उत्तरी सीमा को हमेशा के लिए खतरे में डाल देने वाले नेहरू पर कुछ कहना चाहोगी? अपने ही नेता रहे प्रणव मुखर्जी साहब की किताब पढ़ो आप, अगर पढ़ने की कुछ भी आदत हो तो।
अपने भाड़े के पोस्ट लेखकों से कहिए कि जरा तमीज से पेश आयें। क्या घर में जरा भी शिष्टता नहीं सिखाया गया आपको? क्या न्यूनतम शिष्टता भी नहीं सिखा सकती आप अपनी बदजुबान टीम को?
दुनिया भर के प्रामाणिक विशेषज्ञ, एजेंसियां आज भारत के जीत का गीत गा रहे हैं, वहां अपने कर्कश आवाज में अपने ही देश के विरुद्ध जुटी होना क्या चरणचुंबक होना नहीं है। कुछ तो तमीज सीखिए बहन।
हम आपकी भाषा के स्तर पर नहीं उतर सकते। लेकिन सोचिए तनिक, नफरती चिंटू के जवाब में अगर आपको नफरती पप्पी कहा जाय, तो कैसा लगेगा? हालांकि हम ऐसा कहेंगे नहीं क्योंकि हमारे संस्कार यह अनुमति नहीं देते हमें।
मनुर्भंव। मनुष्य बनें।