पोलैंड में राष्ट्रपति चुनाव के मुकाबले में कंजर्वेटिव उम्मीदवार करोल नव्रॉकी ने जीत हासिल की है. सोमवार को घोषित अंतिम नतीजों के अनुसार नव्रॉकी को 50.89% वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी और लिबरल वारसॉ के मेयर राफाल त्र्ज़ासकोव्स्की को 49.11% वोट प्राप्त हुए.
यह मुकाबला बेहद करीबी था.
दो हफ्ते पहले हुए मतदान से लेकर सोमवार सुबह दोनों उम्मीदवारों के बीच तनाव बरकरार रहा. ये नतीजे अहम हैं क्योंकि पोलैंड नाटो और यूरोपीय संघ (EU) की पूर्वी सीमा पर स्थित है. रविवार शाम को जारी एक शुरुआती एग्जिट पोल में त्र्ज़ासकोव्स्की को आगे बताया गया था, लेकिन बाद में जैसे-जैसे गिनती आगे बढ़ी, तस्वीर बदलती चली गई और नव्रॉकी को बढ़त मिल गई.
पोलैंड में राष्ट्रपति की भूमिका क्या है?
पोलैंड में रोजमर्रा की सत्ता का अधिकतर नियंत्रण प्रधानमंत्री के पास होता है, जिसे संसद चुनती है. लेकिन राष्ट्रपति का पद केवल प्रतीकात्मक नहीं है. राष्ट्रपति को विदेश नीति पर प्रभाव डालने और विधेयकों को वीटो करने की शक्तियां प्राप्त हैं. नव्रॉकी अब वर्तमान कंजर्वेटिव राष्ट्रपति आंद्रेज दुडा की जगह लेंगे, जिनका दूसरा और अंतिम कार्यकाल 6 अगस्त को समाप्त हो रहा है.
प्रधानमंत्री टुस्क के लिए नया सिरदर्द
प्रधानमंत्री डोनाल्ड टुस्क ने 2023 के अंत में सत्ता संभाली थी. उनकी गठबंधन सरकार में विचारधारा का व्यापक अंतर है, इतना अधिक कि वे अब तक अपने कई चुनावी वादे पूरे नहीं कर सके हैं, जैसे कि गर्भपात कानूनों को उदार बनाना.
दूसरी ओर, राष्ट्रपति दुडा की ओर से विधेयकों पर वीटो लगाए जाने ने टुस्क को उन कानूनों को पलटने से भी रोक दिया है, जिन्हें यूरोपीय संघ ने गैर-लोकतांत्रिक बताया था. अब, करोल नव्रॉकी जैसे एक और कंजर्वेटिव राष्ट्रपति के चुने जाने के बाद, ऐसा लगता है कि टुस्क के पास उन वादों को पूरा करने का कोई रास्ता नहीं बचा, जो उन्होंने मतदाताओं और यूरोपीय संघ से किए थे.