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49,000 करोड़ की बोधघाट परियोजन फिर होगी शुरू,1979 में हुआ था शिलान्यास, प्रधानमंत्री से मिलकर CM साय ने दी जानकारी

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रायपुर: बस्तर में वर्ष-1986 से अधर में अटकी बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना फिर से शुरू होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ नई दिल्ली में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की चर्चा के बाद इसकी संभावना काफी बढ़ गई है। इस दौरान इंद्रावती-महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना को लेकर भी विस्तार से चर्चा हुई है। दोनों परियोजनाओं से सात लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई हो सकेगी।

बता दें कि मुख्यमंत्री साय ने इंटरनेट मीडिया एक्स (X) पर एक पोस्ट डालकर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री को जानकारी दी है कि बस्तर संभाग लंबे समय से माओवादी हिंसा से प्रभावित रहा है, जिससे सिंचाई साधनों के विकास में पिछड़ गया है। यहां कुल बोये गए क्षेत्र 8.15 लाख हेक्टेयर में से केवल 1.36 लाख हेक्टेयर में ही सिंचाई सुविधाएं विकसित हो पाई हैं। बस्तर शांति और विकास की ओर द्रुत गति से बढ़ रहा है। ऐसे में दोनों परियोजनाएं पूरे बस्तर में कृषि विकास और रोजगार को बढ़ाने में मदद करेंगी। प्रधानमंत्री ने इसे गंभीरता से सुना और विचार करने की बात कही है।

परियोजना के महत्वपूर्ण तथ्य
  1. दोनों परियोजनाओं की कुल लागत 49,000 करोड़ है।
  2. बोधघाट सिंचाई परियोजना से दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिले के 269 गांव लाभान्वित होंगे।
  3. इससे खरीफ और रबी सीजन में 3,78,475 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी।
  4. परियोजना में 125 मेगावाट बिजली उत्पादित होगी।
  5. इससे 4824 टन वार्षिक मत्स्य उत्पादन जैसे अतिरिक्त रोजगार का सृजन होगा।
  6. इंद्रावती-महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना द्वारा इंद्रावती नदी का करीब 100 टीएमसी जल महानदी कछार में स्थानांतरित करने की योजना है।
  7. इससे कांकेर जिले में भी 50,000 हेक्टे. भूमि में सिंचाई सहित कुल 3,00,000 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।

1979 में हुआ था शिलान्यासबता दें कि गोदावरी नदी की बड़ी सहायक इन्द्रावती नदी पर बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना प्रस्तावित है। राज्य में इन्द्रावती नदी कुल 264 किमी में प्रवाहित होती है। यह परियोजना दंतेवाड़ा जिले के विकासखंड व तहसील गीदम के ग्राम बारसूर से करीब 8 किमी व जगदलपुर शहर से करीब 100 किमी दूरी पर प्रस्तावित है। बोधघाट बांध परियोजना का शिलान्यास 21 जनवरी 1979 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने किया था।