अमेरिका की रहने वाली एक महिला ने अपने साथ हुई चौंकाने वाली घटना शेयर की है जिसने दुनिया भर के लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया. कोलोराडो की रहने वाली ब्रिएना लैफर्टी एक समय पर 8 मिनट के लिए मृत घोषित कर दी गईं जो एक खतरनाक न्यूरोलॉजिकल बीमारी मायोक्लोनस डिस्टोनिया से जूझ रही थीं.लेकिन इस दौरान उन्होंने जो अनुभव किया वह बेहद रहस्यमयी और शांति से भरा हुआ था.
ब्रिएना ने बताया कि जब उनका शरीर जवाब देने लगा तो अचानक उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि उनकी आत्मा उनके शरीर से ऊपर उठ रही है. उन्होंने कहा कि उन्हें एक आवाज सुनाई दी जिसने पूछा, “क्या तुम तैयार हो?” और फिर सब कुछ अंधकार में चला गया. हालांकि डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था, लेकिन उनका कहना है कि उनकी चेतना जीवित रही.
उनका मानना है कि “मृत्यु एक भ्रम है, आत्मा कभी नहीं मरती. हमारी चेतना हमेशा जीवित रहती है और हमारी असली पहचान बस एक रूप से दूसरे रूप में बदलती है.” उन्होंने आगे कहा कि जैसे ही वे उस दूसरी दुनिया में पहुंचीं, वहां उन्होंने महसूस किया कि सोच की शक्ति वहां सब कुछ बदल सकती है. उनके अनुसार, “वहां समय जैसी कोई चीज नहीं थी, लेकिन सब कुछ एक क्रम में था.”
ब्रिएना ने कहा कि वहां पहुंचकर उन्होंने अपने इंसानी रूप को नहीं देखा न ही उन्हें कोई दर्द महसूस हुआ. बल्कि उन्हें गहरी शांति और स्पष्टता का अनुभव हुआ. उन्होंने कहा, “मैं पूरी तरह शांत थी, लेकिन अंदर से पूरी तरह ज़िंदा महसूस कर रही थी.” उनके मुताबिक, “एक दिव्य शक्ति वहां मौजूद थी जो सबको बिना शर्त प्यार से देखती और संभालती है.”
विज्ञान भी अब ऐसी नियर-डेथ एक्सपीरियंस (NDE) को समझने की कोशिश कर रहा है. एक रिसर्च के अनुसार, मौत के करीब पहुंचते वक्त हमारा दिमाग हमारी ज़िंदगी के खास पलों को दोहराता है, जिसे लोग जिंदगी आंखों के सामने घूम जाना कहते हैं. हाल ही में, कैलगरी यूनिवर्सिटी (कनाडा) के वैज्ञानिकों ने दावा किया कि जीवित प्राणी अपने जीवनकाल में एक बहुत ही हल्की स्किन छोड़ते हैं, जिसे अल्ट्रा वीक फोटॉन एमिशन (UPE) कहते हैं. यह चमक मौत के साथ ही खत्म हो जाती है. इसका अर्थ है कि जीवन और मृत्यु के बीच कुछ अद्भुत विज्ञान भी छुपा है.