सुप्रीम कोर्ट ने अपनी ही नाबालिग बेटी का यौन शोषण करने के आरोपी पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ आपराध को ‘चौंकाने वाला’ बताते हुए उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने से इनकार कर दिया। जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने पूछा, “बेटी आरोप लगा रही है। यह चौंकाने वाला मामला है। वह एक न्यायिक अधिकारी है और यह गंभीर आरोप हैं। यह हैरान करने वाला है कि बेटी ने आरोप लगाए हैं। उसे जीवन भर के लिए आघात पहुंचा होगा। यह कैसे प्राथमिकी को रद्द करने का मामला हो सकता है?”
इसके साथ ही खंडपीठ ने 15 अप्रैल, 2025 को बॉम्बे हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ पूर्व न्यायाधीश की अपील को खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय ने अधीनस्थ न्यायालय के तय आरोपों को बरकरार रखा था। पीठ ने अपीलकर्ता की उस दलील को मानने से इनकार कर दिया, जिसमें पूर्व न्यायाधीश ने अपनी अलग रह रही पत्नी के साथ लंबे समय से जारी वैवाहिक विवाद के कारण फंसाने का जिक्र किया था।
वकील ने कहा, “उनके (पूर्व न्यायाधीश के) पिता ने आत्महत्या कर ली थी। शिकायत बहुत बाद में की गई थी और पहले की कानूनी कार्यवाही के दौरान इसका कभी उल्लेख नहीं किया गया।” पीठ ने हालांकि पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत गंभीर आरोपों पर ध्यान दिया।