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टोल प्लाज़ा बना अखाड़ा: परिवार ने कर्मचारियों पर नशे की हालत में बदसलूकी और हाथापाई का लगाया आरोप, पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में लिया

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 जगदलपुर :  बस्तर के बढ़ईगुड़ा टोल प्लाज़ा एक बार फिर विवादों में घिर गया है। रविवार को दंतेवाड़ा से लौट रहे सोनपाल निवासी एक परिवार के साथ हुए टोल विवाद ने माहौल को तनावपूर्ण बना दिया।

आरोप है कि टोल कर्मियों ने तकनीकी गड़बड़ी का हवाला देकर वाहन रोक लिया और बाद में बहस हाथापाई में बदल गई।

पीड़ित परिवार के मुताबिक, वे दंतेवाड़ा में मां दंतेश्वरी मंदिर के दर्शन कर लौट रहे थे। इस दौरान उनकी स्कॉर्पियो को टोल प्लाज़ा पर यह कहते हुए रोका गया कि वाहन ‘ब्लैकलिस्टेड’ है। परिवार ने स्पष्ट किया कि वाहन लोकल पासिंग है और उसे छूट प्राप्त है, बावजूद इसके कर्मचारियों ने न केवल टोल मांगा, बल्कि अभद्र भाषा और हाथापाई पर भी उतर आए।

परिजनों का यह भी आरोप है कि टोल कर्मचारी नशे की हालत में थे, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। झगड़े की सूचना पर पहुंची बस्तर पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित कर्मचारियों को हिरासत में लिया और मेडिकल परीक्षण (एमएलसी) के लिए अस्पताल भेजा। पीड़ित परिवार ने बस्तर थाने में घटना की लिखित शिकायत दर्ज कराई है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

लगातार विवादों में रहा है बढ़ईगुड़ा टोल प्लाज़ा

बढ़ईगुड़ा टोल प्लाज़ा पर यह पहला विवाद नहीं है। इससे पहले भी कई बार स्थानीय लोग टोल कर्मचारियों के दुर्व्यवहार, तकनीकी खराबियों और नियमों की अनदेखी को लेकर शिकायतें कर चुके हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के नियमों के तहत किसी वाहन को 10 सेकंड से अधिक नहीं रोका जाना चाहिए। यदि तकनीकी खराबी हो (जैसे FASTag स्कैन न होना या सर्वर सिंक न होना), तो वाहन को बिना शुल्क लिए पास किया जाना चाहिए। लोकल पासिंग वाहनों को छूट देने के नियम भी स्पष्ट हैं।

मदद के लिए कोई व्यवस्था नहीं

स्थानीय नागरिकों ने आरोप लगाया कि टोल प्लाज़ा पर न तो तकनीकी समस्या के समाधान के लिए कोई हेल्प डेस्क है, और न ही कर्मचारियों को उपयुक्त प्रशिक्षण मिला है। इससे आए दिन विवाद की स्थिति बनती रहती है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है और टोल प्रबंधन से भी जवाब मांगा गया है।