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भारत की मुरीद हुई पूरी दुनिया! अंडमान में मिला अरबों का खजाना, अब इंडिया बनेगा सुपरपावर

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भारत की किस्मत समंदर के गर्भ में छुपे एक ऐसे खजाने से खुलने जा रही है, जिसकी चमक पूरी दुनिया की आंखें चौंधिया देगी। वो चीज जिसके लिए आज तक भारत को दुनिया भर में तेलगिरि करनी पड़ती थी, वो अब खुद भारत की मुट्ठी में आने वाली है।

दुनिया के तमाम देशों से खरीदने की मजबूरी अब खत्म होने जा रही है और भारत उस कतार से निकलकर उस कुर्सी पर बैठने वाला है, जहां दुनिया के बड़े-बड़े मुल्क भारत से तेल खरीदने के लिए लाइन में खड़े नजर आएंगे। और यह सपना नहीं, बल्कि हकीकत बनने के बेहद करीब है।

खजाने में क्या निकला?

अंडमान के गहरे समंदर में मिला यह खजाना किसी पुराने काल्पनिक रोमांच से कम नहीं है। यह खजाना न सोना है, न हीरे-जवाहरात… बल्कि यह है तरल सोना – यानी कच्चा तेल। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने खुद इस रहस्य से पर्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि अंडमान के समुद्री क्षेत्र में जो भंडार मिला है, वो इतना विशाल है कि भारत की आर्थिक तस्वीर रातोंरात बदल सकती है। आंकड़ों की भाषा में कहें तो यह भंडार हाल ही में दक्षिण अमेरिका के गुयाना में मिले 11.6 अरब बैरल तेल के बराबर या उससे भी ज्यादा बड़ा हो सकता है। गुयाना की किस्मत रातोंरात बदल गई थी, जब उसे यह भंडार मिला था। एक छोटे से देश ने अब तेल उत्पादन में टॉप देशों की कतार में अपनी जगह बना ली है। अब भारत भी उसी रास्ते पर कदम रखने जा रहा है। अगर यह अनुमान सही साबित होता है तो भारत 12 अरब बैरल कच्चे तेल के भंडार का मालिक बन जाएगा। यही वजह है कि सरकार इस पूरे प्रोजेक्ट को मिशन मोड पर लेकर चल रही है और गहरे समुद्र में रिसर्च के साथ-साथ ड्रिलिंग की तैयारियां भी तेज कर दी गई हैं।

भारत 85 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से आयात करता है

भारत की तेल पर निर्भरता कितनी ज्यादा है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि आज भारत अपनी जरूरत का करीब 85 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से आयात करता है। कुल 42 देशों से तेल मंगाने वाले भारत का सबसे बड़ा स्रोत मिडिल ईस्ट है, जहां से करीब 46 फीसदी तेल आता है। लेकिन ईरान और इजराइल के बीच छिड़ी जंग ने तेल बाजार को हिला दिया है। संकट इतना गहरा है कि भारत का तेल आयात बिल 8 लाख करोड़ रुपये से भी पार जा सकता है। ऐसे में अंडमान का यह तेल भंडार किसी अमृत से कम नहीं है।

5 गुना बढ़ जाएगी भारत की GDP

सरकार का दावा है कि अगर यह खजाना वाकई उतना ही बड़ा निकला, जितना अभी तक अंदाजा लगाया जा रहा है, तो भारत की अर्थव्यवस्था एक ही छलांग में पांच गुना तक बढ़ सकती है। फिलहाल भारत की जीडीपी करीब 3.7 ट्रिलियन डॉलर के आसपास है। अंडमान के तेल भंडार से यह सीधे 20 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है। यह वही आंकड़ा है, जिसके आसपास आज अमेरिका और चीन जैसी महाशक्तियां मौजूद हैं। यानी भारत का सपना अब सिर्फ विकासशील देश से विकसित देश बनने का नहीं रहेगा, बल्कि तेल के मामले में दुनिया का बादशाह बनने का होगा।

भारत भी करता है तेल उत्पादन लेकिन…

भारत पहले से भी तेल उत्पादन करता है, लेकिन उसकी मात्रा बहुत सीमित है। असम, गुजरात, राजस्थान, मुंबई हाई और कृष्णा-गोदावरी बेसिन जैसे क्षेत्रों से जो तेल निकलता है, वो देश की कुल जरूरतों का केवल एक छोटा हिस्सा ही पूरा कर पाता है। अब जबकि अंडमान की गहराइयों से यह खजाना मिलने वाला है, भारत ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। सबसे बड़ी बात ये है कि भारत न सिर्फ तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर हो सकेगा, बल्कि अब दूसरे देशों को भी तेल बेचने की स्थिति में आ जाएगा। यहीं से भारत की विदेश नीति भी मजबूत होगी और वो मुल्क जो अब तक भारत की आर्थिक मजबूरियों का फायदा उठाते थे, उन्हें आगे भारत के दरवाजे पर आना पड़ेगा। अब निगाहें इसी पर टिकी हैं कि यह खजाना कितनी जल्दी भारत की अर्थव्यवस्था में रंग भरता है। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ, तो आने वाले वर्षों में भारत सिर्फ टेक्नोलॉजी या स्पेस में नहीं, बल्कि तेल के कारोबार में भी सुपरपावर बनकर उभरेगा। और तब दुनिया के नक्शे पर भारत सिर्फ एक देश नहीं, बल्कि एक ऊर्जा महाशक्ति कहलाएगा।