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टीना डाबी का एक्शन प्लान आया सामने, पाकिस्तानी हिंदुओं की मदद के लिए उठाया ये बड़ा कदम

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पाकिस्तान से आए हिंदू विस्थापितों के घरों पर बुलडोजर चलाकर उन्हें ध्वस्त करने के बाद चर्चा में आईं आईएएस अधिकारी और जैसलमेर की कलेक्टर टीना डाबी ने अब उनके मदद का जिम्मा उठाया है. इसके लिए टीना डाबी ने एक्शन प्लान बनाया है और इसके लिए एक टीम का गठन किया गया है. टीना डाबी ने विस्थापित हिंदू परिवारों  के लिए खाने-पीने के साथ ही रहने की व्यवस्था कराई है. बताया जा रहा है कि विस्थापित परिवारों को जल्द ही बसाया जाएगा, हालांकि फिलहाल इन परिवारों को रैन-बसेरे में रखा गया है.

जैसलमेर की कलेक्टर टीना डाबी ने विस्थापित पाकिस्तानी हिंदू परिवारों को बसाने के लिए एक टीम का गठन किया है, जो जमीन की तलाश करेगी और उसी जगह पर इन परिवारों को बसाया जाएगा. टीना डाबी ने बताया कि बेघर हुए पाकिस्तानी हिंदू परिवारों के पुनर्वास के लिए जिला प्रशासन एक्शन में है और इसके लिए कई कदम उठाए गए हैं. इसके साथ ही पाकिस्तान से आए हिंदूओं से भी इसको लेकर चर्चा की गई है.

जैलसर कलेक्टर टीना डाबी के आदेश के बाद यूआईटी ने पुलिस की मदद से पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए लोगों के आवासों पर बुलडोजर चलाकर उन्हें ध्वस्त कर दिया था, जिसके बाद पाक विस्थापित हिंदू खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए थे. इसके बाद सोशल मीडिया पर टीना डाबी को लोगों के गुस्सा का भी सामना करना पड़ा था.

पाकिस्तान से आए हिंदू विस्थापितों के घरों पर बुलडोजर चलाकर उन्हें ध्वस्त करने के मामले में बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने इसे मानवता की क्रूर हदें पार करना बताया है तो पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी ने पाक विस्थापितों का उत्पीड़न नहीं रोकने पर आंदोलन की चेतावनी दी है. राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि पाकिस्तान में आस्था और इज्जत पर हमला होने के बाद प्रताड़ित हिंदू आश्रय लेने राजस्थान आए हैं. सरकार से शरण मांग रहे हैं, वहीं अफसरों ने उनके मकानों को उजाड़ दिया. गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं ऐसे विस्थापितों के पहले जोधपुर और अब जैसलमेर में मकान ध्वस्त कर दिए हैं. सरकार के नौकरशाहों का यह काम मानवता की क्रूरता की हदों को पार करना है.

पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि पीएम मोदी सीएए कानून ला रहे हैं. पाकिस्तान, बांग्लादेश या अन्य देशों में प्रताड़ित होकर आए विस्थापितों को नागरिकता देने के लिए द्वार खोलने का काम कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर राजस्थान सरकार खुद सीएम के जिले में उन्हें बेघर किया जा रहा है. इनमें कई तो 30 साल या पाकिस्तान बनने के बाद बड़ी संख्या में विस्थापित होकर आ गए थे. इनके बच्चों ने मेडिकल की पढ़ाई पढ़ ली, लेकिन नागरिकता नहीं होने से डिग्री नहीं मिल रही है. राज्य सरकार इन्हें प्रताड़ित कर पाक उत्पीड़न जैसा काम कर रही है. यह किसी भी प्रकार से स्वीकार्य नहीं है. यदि उनका उत्पीड़न नहीं रोका गया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा.