महासमुंद। जिले के तुमगांव थाना क्षेत्र के ग्राम मालीडीह पंचायत के उपसंरच और उसकी पत्नी के खिलाफ फर्जी तरीके से वनभूमि का पट्टा तैयार करने और उस जमीन के एवज में समर्थन मूल्य पर धान बेचने के मामले में कलेक्टर आदिवासी विकास शाखा की शिकायत पर आईपीसी की धारा 420, 467, 471, 468, 34 के तहत अपराध दर्ज किया गया है। उप सरपंच 2015 से 2020 तक मालीडीह ग्राम पंचायत का सरपंच भी रह चुका है।
इस मामले में सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास शाखा के अधिकारी के द्वारा तुमगांव थाने में लिखित शिकायत की गई थी, जिसके अनुसार ग्राम मालीडीह निवासी दिलीप असगर एवं उनकी पत्नी कामता बाई के द्वारा ग्राम मालीडीह वन क्षेत्र के खसरा नंबर 829/1 रकबा 1.95 हेक्टेयर एवं खसरा नंबर 829/2 रकबा 1.95 हेक्टेयर का कुटरचना कर फर्जी तरीके से वन अधिकार पट्टा तैयार कर धान खरीदी केन्द्र तुमगांव में पंजीयन कराया और धान बेचा । इस मामले को लेकर कलेक्टर द्वारा 19 जनवरी को जांच के लिए चार सदस्यी जांच टीम का गठन किया गया था, जिसमें सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास शाखा, एसडीएम महासमुंद, नायब तहसीलदार पटेवा और एसडीओ वन विभाग शामिल थे।
टीम ने जांच के दौरान पाया कि दिलीप असगर एवं कामताबाई असगर द्वारा कलेक्टर, डीएफओ के फर्जी हस्ताक्षर, सील मुहर से वनाधिकार पट्टा तैयार कर उस जमीन पर खेती कर रहा था और तुमगांव धान-खरीदी केन्द्र में पंजीयन कराकर धान बेचा था। उपसरपंच के द्वारा वन अधिकार पट्टा की मूल प्रति कभी भी जमा नहीं की गई थी, फोटो कापी के सहारे फर्जीवाड़ा कर धान बेच रहे थे। जांच टीम ने शिकायत में पुलिस को बताया है कि दिलीप असगर एवं कामताबाई असगर द्वारा जांच के दौरान वन अधिकार पट्टे का मूल दस्तावेज मांगा गया मगर उनके द्वारा वह दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया। इन परिस्थितियों में संबंधितों की जालसाजी का खुलासा हुआ। अब उप सरपंच और उनकी पत्नी दोनों फरार है। पुलिस दोनों की सरगर्मी से तलाश रही है।