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समंदर की गहराई में गुम है करोड़ों टन सोना, निकालने की हर तरकीब क्यों हो रही है फेल?

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लोग अपनी आस्था में सोना-चांदी और सिक्का समेत कई कीमती चीजें नदियों में प्रवाहित कर देते हैं. इसी तरह कुछ लोग समंदर में भी बेहद कीमती चीजें बहा देते हैं लेकिन कई बार समंदर में उठा प्रलय कई जहाजों को निगल जाता है जिनके पास अरबों-खरबों का खजाना होता है. इसी तरह ब्रिटेन का एक जहाज साल 1641 में जलमग्न हो गया. इस जहाज का नाम रॉयल मर्चेंट था. हालांकि, इसका ऊपरी हिस्सा मिल गया लेकिन निचला भाग समंदर की तलहटी में चला गया. रॉयल मर्चेंट में लगभग 1 लाख पाउंड का सोना रखा हुआ था.

इसी तरह का एक किस्सा पुर्तगाल के कार्गो फ्लोर दी ला मेर का है, जिसने अरबों का सोना और कीमती सामान पुर्तगाल पहुंचाया लेकिन 16वीं सदी के प्रारंभ में खुद प्रशांत महासागर में गर्त में डूब गया. विषेशज्ञों का अनुमान है कि इस जहाज में करीब 2 बिलियन डॉलर का सोना रखा हुआ था. ऐसे हजारों जहाज जो समंदर की गहराई में चले गए लेकिन अपने साथ कई खरबों के खजाने भी लेकर डूब गए. नेशनल ओशनिक एंड एटमॉसफेरिक एडमिनिस्ट्रेशन की एक रिपोर्ट का कहना है कि समंदर में खोए हुए सोने की गणना हमेशा जहाजों के लापता होने से की जाती है.

माना जाता है कि समंदर के खारे पानी में अक्सर चीजें गल जाती है, इस हिसाब से सोना भी कहीं गल गया होगा. अर्थ एंड प्लैनेटरी साइंस लेटर्स नाम के साइंस जर्नल में छपी एक रिपोर्ट बताती है कि 100 मिलियन टन समंदर के पानी में केवल 1 ग्राम ही सोना मौजूद होता है. वहीं, दूसरी थ्योरी कहती है कि गोल्ड एक्सट्रैक्शन में जितने पैसे लगेंगे वो सोने के भाव के लगभग करीब या उसे थोड़े कम होंगे. इस लिहाज से उन्हें कोई मोटा मुनाफा नहीं होगा. साल 1900 में एक इनवेस्टर हेनरी क्ले ने सोना निकालने के लिए एक तरीका इजाद किया जिस पर उन्होंने पेटेंट लिया. आईडिया ये था कि अगर कोई हेनरी क्ले की टेक्निक से सोना समंदर से निकालता है तो वह इस पेटेंट के दायरे में आएगा लेकिन ये तरीका भी सिर्फ हवा-हवाई ही निकला. इस तरह कई थ्योरी में माना गया सोना खोजना और उसे निकालना ज्यादा खर्चिला हो सकता है.