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शाला प्रवेश उत्सव’ भूपेश सरकार ने बदल दी बच्चों की सोच, स्कूल में गढ़ रहे तकदीर

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रायपुर  :  घर से पहली बार मन में उत्साह और उमंग लिए स्कूल जा रहे बच्चे हो या गर्मी की छुट्टी बिता कर आगे की कक्षा में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी हो। आगे बढ़ने की उम्मीद के साथ अपने सपनों की उड़ान लिए मेहनत कर रहे इन बच्चों से सभी को उम्मीदें होती है। सरकार और अभिभावकों की एक बड़ी जिम्मेदारी होती है कि इन बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलने के साथ ही उनका व्यक्तित्व विकास भी हो। सभी वर्गों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले इसके लिए भूपेश सरकार ने बच्चों की शुरूआती शिक्षा उपलब्ध कराने के साथ ही उनके आगे की शिक्षा के लिए भी सुविधाएं उपलब्ध करा रही हैं।

छत्तीसगढ़ में नए शिक्षा सत्र की शुरुआत हो चुकी है। बच्चों के लिए सभी सरकारी और निजी स्कूलों में शासन के निर्देशानुसार शाला प्रवेश उत्सव मनाया गया। जहां नवप्रवेशी बच्चों के अलावा अन्य बच्चों का तिलक लगाकर स्वागत कर, बच्चों का मुंह मीठा कराया गया तथा उन्हें चॉकलेट्स वितरित की गई। इस दौरान बच्चों के चेहरे में नए उत्साह और खुशी देखने की मिली। बच्चों ने तिलक लगवाकर अपने शिक्षकों का पैर छुकर आशीर्वाद लिया। उपस्थित शिक्षकों ने उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी। बच्चों में स्कूल जाने की इच्छा को सीएम भूपेश बघेल ने ‘शाला प्रवेश उत्सव’ मनाकर जागृत किया।

छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा नई शिक्षा नीति बनाई गई है जिसके तहत राज्य के सभी आंगनबाड़ियों को बलवाड़ी में बदल दिया गया। सभी बलवाड़ीयों में आंगनबाड़ी सहायिका के साथ सहायक शिक्षक को भी रखा गया, जो आंगनबाड़ी सहायिका के साथ बच्चों को खेल खेल में शिक्षा दे रहीं हैं। सभी सहायिका और शिक्षकों को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर “जाबो बालवाड़ी बढ़ाबो शिक्षा के गाड़ी” के थीम के साथ छत्तीसगढ़ बलवाड़ी योजना का अनाउंसमेंट किया गया था। छत्तीसगढ़ सरकार के इस स्कीम के द्वारा 5 से 6 वर्षों के बच्चों के लिए एक बढ़िया खुशहाल शिक्षा का माहौल बनाना है। क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है, कि मनुष्य का 80% दिमाग का विकास 8 वर्षों से पहले ही हो जाती है।

जिस प्रकार निजी स्कूलों के द्वारा प्ले स्कूल बनाया गया है, जिसमें बच्चों को खेल खेल में शिक्षा दी जाती है। उसी प्रकार भूपेश सरकार ‘छत्तीसगढ़ बलवाड़ी योजना’ के जरिये सरकारी प्ले स्कूल बनाने का कार्य किया है, जिसमें बच्चों को विशेष सुविधा दी जा रही है, बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाया जा रहा है एवं उनके लिए एक बेहतर शिक्षा का माहौल बनाया गया है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का उद्देश्य यही है, कि वह अपने राज्य के सभी 5 से 6 वर्ष के बच्चों और विशेष रूप से पिछड़े, आर्थिक रूप से कमजोर परिवार बच्चों को बेहतर बचपन की शिक्षा दे सके, जिससे जब वे बड़े हो तो उनकी सोचने और समझने की क्षमता ज्यादा हो। जिससे भविष्य में छत्तीसगढ़ राज्य की वृद्धि तेजी से हो पाए।

बच्चों के अभिभावकों पर आर्थिक बोझ ना हो इसके लिए नए सत्र में स्कूल खुलते ही छात्रों को निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें, स्कूल यूनिफार्म इत्यादि प्रदान किए गए। छात्राओं को प्रोत्साहन देने के लिए कक्षा 9वीं में प्रवेश लेते ही निःशुल्क साइकल प्रदान की गई। स्कूल के विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो इसके लिए जर्जर हो चुके स्कूल की मरम्मत भी की जा रही है। उनका रंग-रोगन किया जा रहा है। शासकीय स्कूलों में शिक्षकों की कमी नहीं रहे इसके लिए राज्य सरकार द्वारा 10 हजार 884 शिक्षकों की नियुक्ति की जा चुकी है और 12 हजार से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति किया जाना प्रक्रियाधीन है।

5 से 6 वर्ष तक की आयु के बच्चों को सीखने एवं समझने की क्षमता के विकास के लिए बालवाड़ी योजना संचालित की जा रही है, जिनमें बच्चों को सीखने एवं समझने की क्षमता का विकास खेल-खेल में किया जा रहा है। पिछले साल 5 हजार 173 बालवाड़ियां शुरू की गई थी। दूसरे चरण में 4 हजार 318 बालवाड़ियां का शुभारंभ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शाला प्रवेशोत्सव के दिन 26 जून को किया। इस प्रकार राज्य में बालवाड़ियों की संख्या 9 हजार 491 हो गई है।

आज यहां पर वैश्विक भाषा अंग्रेजी में गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने के लिए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल का निर्माण किया गया है। गरीब परिवारों के बच्चे भी निजी स्कूलों जैसी सुविधाओं के साथ उत्कृष्ट शिक्षा का लाभ ले सकें इसके लिए स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय योजना के माध्यम से आज अंग्रेजी माध्यम के 377 एवं हिंदी माध्यम के 350 स्कूल शुरू किए गए हैं। इसका असर यह हुआ की इन स्कूलों में प्रवेश लेने के लिए विद्यार्थियों की होड़ लगी हुई है। निजी स्कूल के बच्चें भी आज इन सरकारी स्कूलों में प्रवेश पाने के लिए जतन कर रहे हैं।