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छत्तीसगढ़ के इस गांव में चार महीने के लिए बंधक बनकर रहते हैं ग्रामीण ! जानिए वजह

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सूरजपुर :  आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं एक ऐसा गांव जो बरसात के लगभग चार महीने तक अपने ही गांव में बंधक बनाकर रहने को मजबूर है। इस गांव का नाम है बांकी, सरकार और जिला प्रशासन के अनदेखी की वजह से आज भी इस इलाके के लगभग दो हजार ग्रामीण जान जोखिम में डालकर जीने को मजबूर हैं।

सूरजपुर के ओडगी ब्लॉक स्थित बांकी और उसके आसपास के कुछ गांव का यह इलाका जिले का पहुंच विहीन इलाका माना जाता है। यहां की आबादी लगभग दो हजार बताई जा रही है। यहां पहुंचने के लिए सड़क नहीं है, जिसकी वजह से यहां ना तो मेडिकल सुविधा पहुंच पाती है और ना ही राशन। सरकारी राशन के लिए यहां के ग्रामीणों को लगभग 15 से 20 किमी पैदल दूरी तय करनी पड़ती है, जबकि अगर ग्रामीणों को ब्लॉक जाना हो तो इन्हे कई पहाड़ पार कर लगभग 25 किमी पैदल चलकर जाना पड़ता है।

अगर गांव के किसी ग्रामीण की तबियत खराब हो जाए तो उन्हे खाट पर लेकर लगभग 25 किमी दूर जाना पड़ता है तब इन्हें मेडिकल सुविधा मिल पाती है। इस गांव की गर्भवती महिलाओं पर भी जान का खतरा बना रहता है, मेडिकल सुविधा ना होने की वजह से गांव की महिलाएं ही मिलकर डिलेवरी कराती हैं। इसमें कई बार गर्भवती महिला की जान भी जा चुकी है। बरसात शुरू होते ही यह इलाका पूरी तरह से कट जाता है, जिसकी वजह से यहां के ग्रामीण अपने ही गांव में बंधक की जिंदगी जीने को मजबूर हो जाते हैं।

ऐसा नहीं है की इसकी जानकारी जिला प्रशासन को नहीं है। यह इलाका सरकारी दस्तावेजों में भी पहुंच विहीन इलाके के रूप में दर्ज है, लेकिन आज तक इस इलाके को मुख्य धारा से जोड़ने का काम नहीं किया गया है। आज तक इस इलाके में ना तो कोई अधिकारी पहुंचा है और ना ही कोई जनप्रतिनिधि

जब राज्य जनजाति आयोग के अध्यक्ष को इस इलाके की स्थिति से अवगत कराया तो उन्होंने भी यह माना कि वह इलाका आज भी पहुंच गई है। इसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया और आश्वासन दिया कि जल्द ही उस इलाके को भी मुख्य सड़कों से जोड़ा जाएगा। आधुनिकता के इस दौर में इस इलाके के ग्रामीणों की स्थिति सभी के लिए आईना दिखाने के लिए पर्याप्त है। ऐसे में जिला प्रशासन और राज्य सरकार को इन ग्रामीणों पर ध्यानाकर्षण की जरूरत है, ताकि यह ग्रामीण भी आम लोगों की तरह मुख्यधारा से जुड़ कर अपना जीवन बिता सकें।