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गणपति के इस स्वरूप का पूजन करने से जीवन में होती है तरक्की, धन प्राप्ति के बनते हैं योग

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मन की शांति के लिए हम ईश्वरीय भक्ति का सहारा लेते है, जब परिस्थिति समझ से परे हो जाती है तो हम भगवान की शरण में चले जाते है, और उस समय अपने अपने इष्ट की आराधना करने लगते है. यदि आप भी समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते है तो करें गणेश जी के विभिन्न स्वरूपों का पूजन. हम में से लगभग सभी लोग भगवान श्रीगणेश जी के कई रूप और कई नाम से परिचित होंगे. गणेश जी ने जगत को भिन्न-भिन्न परिस्थिति से छुटकारा दिलाने के लिए अवतार लिया. इन्हीं रूप के कारण उन्हें कई नामों से जाना जाता है जैसे- सिद्धिविनायक, लंबोदर, गजानन, विघ्न विनाशक आदि.

हिंदू धर्म  में तैतीस करोड़ देवी देवता है, उनमें महाराज गणपति जी प्रथम पूज्य है. किसी भी कार्य की शुरुआत से पहले गणपति जी को निमंत्रण दिया जाता है.. महाविद्याओं के आधार पर गणपति जी की कई प्रतिमाओं का उल्लेख कई वेदों और पुराणों में पढ़ने को मिलता है. इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि किस समय गणपति के किस रूप की आराधना करनी चाहिए.

सिद्धिदायक गणपति- सिद्धिविनायक का यह रूप चतु्र्भुजी होता है, उनकी चार भुजाओं में कमंडलु, अक्षमाला, पुष्प और त्रिशूल होते हैं. जिन लोगों को काफी प्रयासों के बाद भी सफलता हासिल नहीं हो रही है उन्हें सिद्धिदायक गणपति की स्थापना और पूजन करना चाहिए.

धनदायक गणपति- जिन व्यापारियों के कारोबार में लगातार घाटे की स्थिति बनी हुई है, या फिर धन कमाते तो लेकिन किसी न किसी कारण धन का खर्च बना रहता है उन्हें धनदायक गणपति का पूजन अर्चन करना चाहिए.

विघ्नहर्ता गणपति- जिन लोगों के परिवार में सुख-शांति की कमी बनी रहती है, या आए दिन किसी न किसी बात को लेकर कलह होती है उन्हें विघ्नहर्ता गणपति की आराधना जरूर करना चाहिए.

संतान गणपति- ऐसे दंपति जो लंबे समय से संतान सुख से वंचित है, उन्हें संतान गणपति की उपासना करनी चाहिए, बप्पा की कृपा से आशीर्वाद से आपकी संतान कामना जरूर पूरी होगी.

ऋणमोचन गणपति- जिन लोगों ने कर्ज ले रखा है और लाख प्रयासों के बाद भी ऋण चुकाने में असमर्थ  है, उन नित्यदिन सुबह शाम ऋणमोचन गणपति का ध्यान करना  चाहिए, साथ ही गणेश सहस्त्रनाम का पाठ भी करना चाहिए.