नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) यानी समान नागरिकता संहिता कानून को लेकर दिए गए बयान के बाद से इस मुद्दे को लेकर सियासी जंग छिड़ गई है। इसको लेकर विपक्षी दलों के साथ साथ मुस्लिम धर्म गुरुओं और संगठनों ने बीजेपी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियां जहां फिलहाल यूसीसी का विरोध कर रही हैं, वहीं सत्ता पक्ष से इतर कई ऐसी पार्टियां और कुछ नेता हैं जो अब यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन कर रहे हैं।
केंद्र सरकार संसद के आने वाले मानसून सत्र में समान नागरिक संहिता को लेकर बिल लाने वाली है। इससे पहले सोमवार को कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसद की स्थायी समिति की बैठक बुलाई गई है। बैठक में UCC को लेकर सभी हितधारकों के विचार लिए जाएंगे। संसदीय समिति के प्रमुख और भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने बैठक के बारे में कहा कि हम UCC मामले में सभी हितधारकों के विचार लेंगे। इस संसदीय समिति में सभी दलों के सदस्य हैं। UCC में देश के सभी नागरिकों के लिए एक जैसा व्यक्तिगत कानून बनाने और लागू करने का प्रस्ताव है। चाहे वे किसी भी धर्म या जेंडर के हों। वर्तमान में विभिन्न धर्मों के अनुसार अलग-अलग व्यक्तिगत कानून लागू हैं।
यूसीसी का समर्थन करने वाले गैर एनडीए दलों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इन पार्टियों की सूची में रविवार को दो और नाम जुड़ गए। बीएसपी अध्यक्ष मायावती और सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन किया है। इससे पहले शनिवार को हिमाचल कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने भी समान नागरिक संहिता का समर्थन किया था। रविवार को महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद अब एनसीपी के भी यूसीसी का समर्थन करने की संभावना है। प्रफुल्ल पटेल पहले ही ऐसा संकेत दे चुके हैं। आम आदमी पार्टी और शिवसेना पहले ही UCC को समर्थन का ऐलान कर चुके हैं। इस लिहाज से यूसीसी को समर्थन देने वालों नेताओं और दलों का कारवां बढ़ता ही जा रहा है।