रायपुर : उद्यानिकी विभाग इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च, बेंगलूरु में तैयार अर्का किस्म के पपीते की खेती से छत्तीसगढ़ के किसान मालामाल होंगे। रोग से लड़ने वाली पपीते इस किस्म को उद्यानिकी विभाग जिले की नर्सरियों में तैयार कर रहा है। प्रदेश के किसानों को उन्नत किस्म के पपीते की खेती से कम समय में ज्यादा मुनाफा मिलेगा।
इसलिए उद्यानिकी विभाग का कहना है, कि यह किस्म छह से आठ महीने में तैयार होकर फल देने लगता है। यह किस्म रोग प्रतिरोधक है, इसलिए ज्यादा नुकसान नहीं होता। आम किस्म के अलावा इस किस्म का सक्सेस रेट ज्यादा है। बेंगलूरु के किसानों को इससे सफलता मिली है। प्रदेश के किसान इसे अपने खेतों में लगाएंगे, तो उन्हें भी सफलता मिलेगी।
उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अर्का प्रभात किस्म का बीज बैंगलोर से लाकर उद्यानिकी विभाग की नर्सरियों में उसको तैयार किया जा रहा है। प्रदेश के किसानों को अभी रायपुर के कृषि विज्ञान केंद्रों से बीज मिल जाएगा। किसानो को यदि अर्का प्रभात किस्म का पौधा चाहिए, तो उन्हें अभी एक साल तक इंतजार करना होगा।
उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अर्का प्रभात किस्म उभयलिंगी प्रकृति की किस्म है। इसके पादपों में अर्द्ध-औज होता है। कम लंबाई (60-70 से. मी.). पर ही इसमें फल आना शुरू हो जाता है। चूंकि यह उभयलिंगी है। इसलिए इसका बीज-उत्पादन करना आसान है इसका गूदा ठोस (5.9 कि. ग्रा. प्रति वर्ग से. मी.) और रंग गहरा गुलाबी होता है। इसके फल का औसतन वजन 900-1200 ग्राम होता है। इसकी टिकाऊपन और गुणवत्ता अच्छी है।
किसान पपीते की पैदावार करके आर्थिक रूप से मजबूत हो सके। इसलिए बेंगलूरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च से लाई गई अर्का प्रभात किस्म तैयार किया जा रहा है। इसका बीज और पौधा किसानों को देकर उत्पादन करने की सलाह दी जा रही है।यह किस्म जल्द तैयार होती है और रोग प्रतिरोधक है। इससे किसानों को ज्यादा मुनाफा होगा।
– कैलाश सिंह पैकरा, उप संचालक, उद्यानिकी