जशपुर: रेशम विभाग के द्वारा टसर धागाकरण योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र में कृषि कार्य मजदूरी एवं वनों पर से आए का एक प्रमुख साधन है जिसमें क्षेत्र की महिलाएं कम समय में अत्यधिक लाभ प्राप्त कर रही है। रेशम विभाग के टसर धागाकरण योजनान्तर्गत ग्रामीण क्षेत्र में कृषि कार्य, मजदूरी एवं वनोपज से आय का एक प्रमुख साधन है। जो एक निश्चित अवधि के लिए होता है।
धागाकरण कार्य देखकर हुई प्रेरित
पुरूष तो काम के तलाश में बाहार जा सकते हैं। किन्तु महिलाओं के लिए अपने गांव के आस-पास में रोजगार प्राप्त करने हेतु इधर-उधर भटकना पड़ता था ऐसे ही कुछ जरूरत मंद महिलाएं शासकीय कोसा बीज केन्द्र कुनकुरी में चल रहे टसर धागाकरण योजनान्तर्गत संचालित टसर मशीनों को देखने आई एवं धागाकरण कार्य को देखकर स्व-प्रेरित होकर स्वयं भी इस कार्य को करने के लिए इच्छा प्रकट की तथा विभाग द्वारा भी इन महिलाओं को समूह बनाकर टसर धागाकरण प्रशिक्षण दिया गया।
7 महिला स्व-सहायता समूह का किया गठन
स्व सहायता समूह की महिलाएं अब कोसा से धागा निकालने की कला सीखकर अपने जीवन के ताने-बाने बुन रही है। इसी कड़ी में जशपुर जिले के कुनकुरी, फरसाबहार विकासखण्ड में 07 महिला स्व-सहायता समूह का गठन किया गया। महिला समूह के द्वारा टसर धागाकरण कार्य कर धागा उत्पादन किया जा रहा है। उत्पादित धागे का समूह के द्वारा बेचकर 1 करोड़ 95 लाख 40 हजार 383 रूपए का लाभ अर्जित किया गया।
स्व-सहायता समूह की महिलाएं अपनी आमदनी को बढ़ाते हुए जीवन स्तर को बेहतर बना रही है। पूर्व में आय के स्रोत के रूप में सिर्फ खेती घर के बाड़ी व वन उत्पादों से जीविकोपार्जन कर रही थी। कुनकुरी विधानसभा के सिंगी बाहर गांव में रेशम विभाग द्वारा कई एकड़ में इस कार्य का संचालन किया जा रहा है एवं कोसा बीज को लड़ी में लटका कर एक अद्भुत नजारा स्वयं में प्रतीत हो रहा है। बहुत ही कम समय में स्व सहायता समूह की महिलाएं एवं स्थानीय ग्रामीण इस योजना का लाभ ले रहे हैं एवं बहुत ही कम समय में ज्यादा लाभ प्राप्त कर रहे हैं।