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मजबूरी का नाम प्रबल प्रताप जूदेव, कोटा में भाजपा का सिक्का खोटा, पिता के नाम सहारा नहीं तो बन जाएंगे बेचारा

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कोटा: प्रदेश के सबसे हाई प्रोफ़ाइल सीटों में शुमार बिलासपुर के कोटा विधानसभा को जीतने के लिए भाजपा ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। हालांकि अब तक भाजपा को इसपर कामयाबी नहीं मिल पाई है। यही वजह है कि इस बार विपक्षी दल भाजपा साम, दाम, दंड, भेद के बूते इस सीट को हथियाने की जुगत में है।

वहीं बीजेपी की यह कोशिश रंग लाती नजर नहीं आ रही है ऐसा इसलिए भी क्योंकि भाजपा ने यहां पर ऐसे उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारा है जिनकी दिलीप सिंह जुदेव का बेटा होने के अलावा खुद की कोई खास पहचान नहीं है। पहचान नहीं तो न सही लेकिन प्रबल प्रताप ने चुनावी रण में विवादित नेता के तौर पर अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी है। जी हां हाल ही में उन्होंने विरोधियों को खुले तौर पर नेस्तोनाबूद कर देने की धमकी दे डाली है जो उन्हें काफी नुकसान पहुंचा सकती है।

बात करें कोटा विधानसभा क्षेत्र की तो यहां पिछले 15 साल से जोगी परिवार का कब्जा रहा है। यहां की जनता पिछले तीन चुनाव से पूर्व सीएम अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी पर भरोसा जताकर सदन तक पहुंचा रही है। वहीं, कोटा में भाजपा के प्रदर्शन की बात करें तो यहां भाजपा की जीत का आज तक खाता नहीं खुला है। ऐसे में प्रबल को मजबूरी का नाम प्रबल प्रताप के तौर पर देखा जा रहा है। राजनीति की बात करें तो प्रबल कोई खास सक्रिय नेता नहीं हैं, सियासी गलियारों में उनकी कोई खास छवि नहीं है। या यूं कहें कि प्रबल को वोट सिर्फ दिलीप सिंह जुदेव और भाजपा के नाम पर ही मिल सकता है। वो भी तब जब वो खुलेआम धमकी देते हुए घूम रहे हैं।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो प्रबल प्रताप जुदेव भाजपा की पहली पसंद नहीं थी। उनके नाम की सिफारिश आरएसएस की ओर से किया गया था और आरएसएस के दबाव में ही उन्हें चुनावी मैदान में उतारा गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रबल प्रताप लंबे समय से धर्म परिवर्तन करने वालों की घर वापसी करवाने में लगे हुए हैं। ऐसे में आरएसएस को भी ये लगता है कि हिंदूत्व और पिता जूदेव का नाम ही प्रबल की नैय्या पार लगा पाएगा। लेकिन अगर आरएसएस का ये दांव फेल हुआ तो ये तय है कि जूदेव को हार का सामना करना पड़ेगा ही, क्योंकि उनके खिलाफ तीन बार की विधायक रेणु जोगी भी चुनावी मैदान में हैं।

वैसे तो कोटा का पूरा क्षेत्र शांत समझा जाता है। वन और पहाड़ो से घिरे इस खूबसूरत विधानसभा से विधायक बनने वाले भी ऊँचे पदों पर पहुंचे। फिलहाल यहाँ से प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की धर्मपत्नी रेणु जोगी 2008 से विधायक है और इस बार भी मैदान में है। वह शांतचित्त से अपना प्रचार करती है। आक्रामक राजनीति के उलट उन्होंने अपने व्यवहार से क्षेत्र के लोगो का विश्वास भी जीता है लेकिन इस दफे भाजपा के उम्मीदवार की आक्रामक रणनीति कोटा जैसे शांत क्षेत्र में सियासी तपिस बढ़ाती नजर आ रही है।

दरअसल कोटा विधानसभा के दारसागर में आयोजित एक चुनावी सभा में कोटा विधानसभा से बीजेपी प्रत्याशी प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। लेकिन जोश में वो कुछ ऐसा बोल गए कि अब उनके काम करने के तरीके पर गंभीर सवाल उठ रहे है। जो वीडियो वायरल हो रहा है उसमें प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ये कहते हुए दिख रहे हैं कि यदि मेरे कार्यकर्ताओं का बाल भी बांका हुआ तो मैं उन्हें नेस्तोनाबूत कर दूंगा। कांग्रेस ने उनके इस बयान की निंदा करते हुए आयोग से इसकी शिकायत भी की है। अब देखना दिलचस्प होगा कि अपने विरोधियों के लिए इस तरह खुले आम धमकी देने वाले उम्मीदवार क्षेत्र में अपनी पार्टी को कितनी कामयाबी दिला पाते है।

बाहरी होने का आरोप

प्रबल प्रताप जूदेव को कोटा विधानसभा से टिकट दिया जाना भले ही भाजपा के रणनीति का हिस्सा हो लेकिन उनकी यह रणनीति पर उन्हें ही भारी पड़ती नजर रही है। भाजपा पर आरोप लग रहे है कि उन्होंने क्षेत्र में एक बाहरी प्रत्याशियों को जनता के सामने ला खड़ा किया है। बावजूद इसके कि भाजपा के पास स्थानीय स्तर पर कई बड़े नेता है जो जेसीसी (जे) और कांग्रेस दोनों को टक्कर देने का माद्दा रखते है। ऐसे में अब पूरे क्षेत्र में बाहरी विरुद्ध स्थानीय भी मतदाताओं के बीच मुद्दा बन गया है। कोटा की चुनावी तासीर की बात की जाएँ तो यहाँ से जीत करने वाले नेता अमूमन इस क्षेत्र का ही प्रतिनिधित्व करते रहे है लेकिन इस बार भाजपा ने प्रबल प्रताप के रूप में उनके सामने जो विकल्प दिया है वह सफल होता नजर नहीं आ रहा है।

नहीं है कोई राजनीतिक अनुभव

प्रबल प्रताप पर एक नया और परिवारवाद का भी लगता रहा है। वह दिवंगत नेता दिलीप सिंह जूदेव के सबसे छोटे बेटे है। प्रबल भी पिता की तरह ही धर्मांतरित हिन्दूओ की घर वापसी जैसे कार्यों की वजह से सुर्ख़ियों में रहे है। बात करे उनके सियासी करियर की तो सियासत उन्हें विरासत में मिली है। उनका कोई ख़ास पॉलिटिकल बैकग्राउंड नहीं रहा है। प्रबल प्रताप 2013 से 2018 तक नगर पालिका परिषद जशपुर के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। वे वर्तमान में प्रदेश भाजपा मंत्री भी है जबकि कोटा से अबतक चुनाव जीतने वालों का अपना राजनीतिक इतिहास भी रहा है। ऐसे में अब कोटा के मतदाताओं के सामने भी सवाल खड़ा हो गया है कि वह क्यों एक गैर अनुभवी नेता को विधायक के तौर पर क्यों चुने।

कोटा विधानसभा सीट का इतिहास

  • 1951 – काशीराम तिवारी, कांग्रेस
  • 1957 – काशीराम तिवारी, कांग्रेस
  • 1962 – लाल चंद्रशेखर सिंह, कांग्रेस
  • 1967 – मथुराप्रसाद दुबे, कांग्रेस
  • 1972 – मथुराप्रसाद दुबे, कांग्रेस
  • 1977 – मथुराप्रसाद दुबे, कांग्रेस
  • 1980 – मथुराप्रसाद दुबे, कांग्रेस
  • 1985 – राजेंद्र प्रसाद शुक्ल, कांग्रेस
  • 1990 – राजेंद्र प्रसाद शुक्ल, कांग्रेस
  • 1993 – राजेंद्र प्रसाद शुक्ल, कांग्रेस
  • 1998 – राजेंद्र प्रसाद शुक्ल, कांग्रेस
  • 2003 – राजेंद्र प्रसाद शुक्ल, कांग्रेस
  • 2006 – डॉ. रेणु जोगी कांग्रेस (उपचुनाव)
  • 2008 – डॉ. रेणु जोगी, कांग्रेस
  • 2013 – डॉ. रेणु जोगी, कांग्रेस
  • 2018 – डॉ. रेणु जोगी, जेसीसीजे

लाखों में है जूदेव की सालाना आय

प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने निर्वाचन कार्यालय को अपने चल-अचल संपत्ति से जुड़ा ब्यौरा सौंपा है। प्रबल प्रताप के पेश किये दस्तावेक के मुताबिक़ उनकी वार्षिक आय लाखों में है।