रायगढ़: रायगढ़ जिले में आयुष्मान योजना का बुरा हाल है। योजना के तहत निजी अस्पतालों को पिछले पांच सालों से क्लैम की राशि ही नहीं मिली है। अस्पतालों का तकरीबन 28 करोड़ का भुगतान अटका हुआ है। ऐसे में निजी अस्पताल संचालक स्वास्थ् विभाग के चक्कर काट रहे हैं तो वहीं स्वास्थ्य विभाग राज्य स्तर पर ही फंड की कमी का रोना रो रहा है। दरअसल, आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीब परिवारों को पांच लाख और सामान्य परिवारों को 50 हजार रुपए तक के इलाज की सुविधा दी जाती है। अस्पतालों को इलाज के बदले क्लैम करने पर शासन स्तर पर क्लैम की राशि का भुगतान किया जाता है। लेकिन रायगढ़ जिले में निजी अस्पतालों का पिछले पांच महीने से भुगतान अटका हुआ है।
मामले में हो चुकी है बैठक
1 अप्रैल से लेकर 31 दिसंबर तक जिले के अस्पतालों से भेजे गए। 17345 क्लैम में से बमुश्किल 6700 केस क्लियर हुए हैं जिसमें 17 करोड़ का भुगतान किया गया है, जबकि अभी भी साढ़े दस हजार से अधिक केस पेंडिंग है जिसका 28 करोड़ से अधिक का भुगतान अटका हुआ है। ये राशि पिछले पांच महीने से अटकी हुई है। भुगतान नहीं होने से निजी अस्पताल संचालक पशोपेश में है। आईएमए स्तर पर दो बार निजी अस्पताल संचालकों की बैठक भी हो चुकी है जिसमें भुगतान नहीं होने की दशा में आगे की रणनीति पर चर्चा की जा चुकी है।
करना पड़ा रहा दिक्क्तों का सामना
निजी अस्पताल संचालक खुलकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि भुगतान नहीं होने से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अगर यही स्थिति रही तो आयुष्मान से इलाज करना मुश्किल हो जाएगा। इधर मामले में स्वास्थ्य विभाग की अपनी ही दलील है। सीएमएचओ का कहना है कि केंद्र से ही आयुष्मान के क्लैम की राशि राज्य सरकार को नहीं मिली है। इस वजह से अस्पतालों के क्लैम की राशि अटकी हुई है। इस संबंध में राज्य सरकार से भी पत्राचार कर ध्यानाकर्षण कराया गया है। लंबित भुगतान को शीघ्र क्लियर कराने के प्रय़ास किए जा रहे हैं।