मैनपुर: क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु की शहादत दिवस ब्लॉक मुख्यालय मैनपुर से 7 किलोमीटर दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत जिड़ार की आश्रित ग्राम कुकरीमाल में मनाया गया।
शहादत दिवस के अवसर पर आप के जिलाध्यक्ष सियाराम ठाकुर ने कहा कि एक अहिंसक आंदोलन तो दूसरा सशस्त्र क्रांतिकारी आंदोलन। सन् 1857 से लेकर 1947 तक भारतीय स्वतंत्रता हेतु जितने भी प्रयत्न हुए, उनमें क्रांतिकारियों का आंदोलन सर्वाधिक प्रेरणादायक रहा।आदिवासी भारत महासभा के महासचिव कामरेड युवराज नेताम ने कहा भारत को मुक्त कराने के लिए सशस्त्र विद्रोह की एक अखण्ड परम्परा रही है। भारत में अंग्रेज़ी राज्य की स्थापना के साथ ही सशस्त्र विद्रोह का आरम्भ हो गया था। वस्तुतः क्रांतिकारी आंदोलन भारतीय इतिहास का गौरवशाली स्वर्ण युग ही था। अपनी मातृभूमि की सेवा, उसके लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने की जो भावना उस दौर में प्रस्फुटित हुई, आज उसका नितांत अभाव हो गया है।
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात आधुनिक नेताओं ने भारत के सशस्त्र क्रांतिकारी आंदोलन को प्रायः दबाते हुए उसे इतिहास में कम महत्व दिया और कई स्थानों पर उसे विकृत भी किया गया। स्वराज्य उपरान्त यह सिद्ध करने की चेष्टा की गई कि हमें स्वतंत्रता केवल कांग्रेस के अहिंसात्मक आंदोलन के माध्यम से मिली है। इस नए विकृत इतिहास में स्वाधीनता के लिए प्राणोत्सर्ग करने वाले, सर्वस्व समर्पित करने वाले असंख्य क्रांतिकारियों, अमर शहीदो की पूर्ण रूप से उपेक्षा की गई।
आप के ब्लाक अध्यक्ष बलिराम ठाकुर ने कहा 23 मार्च 1931 का दिन भारतीय इतिहास में अत्यन्त ही हृदय विदारक घटना के रुप में याद किया जाता है। ये वही काला दिन है, जब क्रूर अंग्रेज़ी हुक़ूमत ने मात्र 23 वर्षीय भगत सिंह और सुखदेव थापर तथा 22 वर्षीय शिवराम हरि राजगुरु को राष्ट्रप्रेम के अपराध में फाँसी दे दी और आज़ादी के ये मतवाले सदा के लिए अमर हो गए। इस अवसर पर प्रमुख रूप से परमेश्वर मरकाम, पदम नेताम,गौकरण नागेश, प्रताप मरकाम, डोमार सिंह कपिल, रघुवर मरकाम, नोहर नेताम,गोस्वामी नेताम, अरविंद नेताम, नीरज नेताम, शिलेन्द्री नेताम, सुमित्रा बाई नेताम,मंगतीन बाई नेताम,यामनी नेताम सहित दर्जनों लोग उपस्थित रहे।