बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ज्यूडिशियल ने हाई कोर्ट बार एसोसिएशन व पंजीकृत अधिवक्ताओं को पत्र लिखकर ऐसी याचिकाओं की सूची मांगी है जिसका वर्तमान में अब औचित्य नहीं रह गया है। हाई कोर्ट ने ऐसे मामलों की सूची के लिए 10 जून तक का समय निर्धारित किया है।
अधिवक्ताओं द्वारा पेश की गई सूची के बाद हाई कोर्ट द्वारा ऐसे प्रकरणों को नस्तीबद्ध करने की कार्रवाई की जाएगी। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए हाई कोर्ट ने कुछ इस तरह का निर्णय लिया है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में वर्तमान में साढ़े 88 हजार से अधिक मामले लंबित हैं। लंबित प्रकरणों की बढ़ती संख्या के कारण उन लोगों को समय पर न्याय नहीं मिल पा रहा है जिनकी याचिकाएं लंबे समय से लंबित है। हाई कोर्ट में दायर अमूमन सभी याचिकाओं में राज्य शासन प्रमुख पक्षकार है।
राज्य शासन ने विभागवार ओआइसी तय कर दिया है। महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों से मिलकर जवाब दावा बनवाना और तय समय में कोर्ट के सामने पेश करना इनकी जिम्मेदारी है। लगातार इस बात की शिकायत मिल रही है कि राज्य शासन द्वारा तय समय पर जवाब दावा पेश नहीं किया जाता, जवाब दावा पेश हो जाता है तो संबंधित अधिकारी की गैर मौजूदगी के चलते समय मांग लिया जाता है।
समय पर जवाब पेश ना करने और सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट द्वारा मांगी जाने वाली जानकारी ना देने और इसके लिए मोहलत मांगने के कारण तय समय में याचिकाओं की सुनवाई नहीं हो पा रही है। इसी रफ्तार में लंबित प्रकरणों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है। बढ़ती पेंडेंसी को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल ने कुछ इस तरह की व्यवस्था की है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा सीनियर एडवोकेट के चेंबर के अलावा हाई कोर्ट में वकालत करने वाले अधिवक्ताओं को इस संबंध में सूचित करने और सूची सौंपने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
जिला अदालत में भी इस तरह की योजना
प्रदेश के जिला न्यायालयों में चार लाख 20 हजार 286 मामले लंबित हैं। लंबित प्रकरणों को कम करने के लिए जिला अदालत में भी कार्ययोजना बनाई जा रही है। प्रदेश के सभी जिला कोर्ट में कमेटी बनाने के निर्देश हाई कोर्ट ने दिए हैं। पांच सदस्यीय समिति में जिला एवं सत्र न्यायाधीश अध्यक्ष होंगे। परिवार न्यायालय के प्रिसिंपल जज, सीनियर एडिशनल जिला एवं सत्र न्यायाधीश, चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट या सीनियर सिविल जज सदस्य होंगे।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव समिति के अतिरिक्त सचिव की भूमिका निभाएंगे। चीफ जस्टिस सिन्हा ने किया निरीक्षण ग्रीष्मकालीन अवकाश के पहले दिन चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने अपने न्यायालय में लिस्टेड प्रकरणों में सुनवाई करने के बाद ज्यूडिशियल शाखाओं में चल रहे प्रकरणों के सत्यापन कार्य का निरीक्षण किया। हाई कोर्ट के निर्देश पर औचित्यहीन लंबित प्रकरणों को चिन्हांकित करने की प्रणाली विकसित किया जाना है जिससे ऐसे उपरोक्त चिन्हांकित लंबित प्रकरणों को सुनवाई के बाद निराकृत किया जा सके।
चीफ जस्टिस के निर्देश पर रिट, क्रिमिनल अपील, क्रिमिनल रिवीजन, अवमानना प्रकरणों एवं अन्य प्रकरणों में औचित्यहीन लंबित प्रकरणों की लिस्ट बनाने का कार्य ज्यूडिशियल अफसर एवं हाई कोर्ट के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है। चीफ जस्टिस ने सत्यापित किये गये प्रकरणों की जांच की एवं उन्होंने रजिस्ट्रार जनरल एवं रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल को निर्देशित किया कि प्रतिदिन शाखाओं में चल रहे सत्यापन कार्य की जांच करें एवं उसकी रिपोर्ट पेश करे।