Home छत्तीसगढ़ गरियाबंद जिले में 100 से ज्यादा महिलाओं के नाम पर 1 करोड़...

गरियाबंद जिले में 100 से ज्यादा महिलाओं के नाम पर 1 करोड़ से ज्यादा की ठगी

13
0

गरियाबंद :  छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में गांव की महिलाओं को झांसा देकर करीब 1 करोड़ की ठगी की गई। माइक्रो फाइनेंस के दलाल और उसकी पत्नी ने करीब 100 महिलाओं के नाम पर लोन लिया और फिर फरार हो गया। जब बैंक ने महिलाओं से लोन चुकाने को कहा तब इसका खुलासा हुआ।

जानकारी के मुताबिक, जिले के उरमाल गांव के ही दलाल और उसकी पत्नी ने महिलाओं से दस्तावेज लिए। इसके लिए आकर्षक बीमा राशि मिलने का झांसा दिया गया। इसके बाद अलग-अलग महिलाओं के दस्तावेजों से लोन की राशि निकाल ली। बताया जा रहा है कि, उसने एक नहीं बल्कि 4 बैंक से लोन निकाला है।

ग्रामीणों के मुताबिक, दलाल ने लोन की कुछ किस्त चुकाई भी थी। इसके बाद जब वह परिवार के साथ फरार हो गया तो बैंक के एजेंट वसूली के लिए महिलाओं के पास पहुंचे। इससे परेशान होकर सैकड़ों महिलाएं थाने पहुंची और शिकायत दर्ज कराई।

गरियाबंद के उरमाल गांव के वार्ड 3 और 4 में रहने वाली जानकी बाई, सकुंतला, हिरादी, गजुला, हराबती, दुशिला समेत अन्य महिलाएं देवभोग थाना पहुंची। उन्होंने मोहल्ले के ही किशन देवांगन और उसकी पत्नी गोदावरी पर 1 करोड़ से ज्यादा का कर्जदार बनाने का आरोप लगाया है।

बताया जा रहा है कि, देवभोग में संचालित 4 निजी माइक्रो फाइनेंस बैंक से राशि निकाली गई है। आरोप है कि ठगी में बैंक के कर्मी भी शामिल हैं। फिलहाल शिकायत में 48 महिलाओं की नाम की सूची दी गई है। इन सभी के नाम से भारत फाइनेंस, स्पंदना, सेटिंन, फ्यूजन जैसे फाइनेंस बैंक से कर्ज लिया गया।दावा है कि सिर्फ 48 महिलाओं के नाम से ही 60 लाख से ज्यादा की रकम कर्ज के रूप में ली गई है।

एक महिला के नाम पर 40 हजार से डेढ़ लाख तक का लोन

​​​​किशन देवांगन ​​यूनियन बैंक से UPI लेकर ग्राहक सेवा केंद्र चलाता था। ऐसे में महिलाओं के खाते में जमा सभी रकम वह अपने घर बुलाकर आसानी से आहरण कर लेता था। महिलाओं के सामने कभी भी रकम का जिक्र नहीं किया, इसलिए धोखाधड़ी का शिकार बनी महिलाओं में से किसी को भी यह पता नहीं चला कि उनके नाम पर कितने बैंकों से कितनी रकम निकाली गई।

टारगेट के खेल में उड़ाई नियमों की धज्जियां

इस क्षेत्र में 2018 से माइक्रो फाइनेंस बैंक खुले हैं, जहां से 7 दिन, 15 दिन और मासिक किस्त के आधार पर अब तक 16 हजार महिलाओं को लोन दिया है। 23 से 25 प्रतिशत सालाना ब्याज दर के आधार पर यह लोन लिया गया है। बैंक में नियमित राशि जमा कर रहे कस्टमर को लोन पूरा होने से पहले फिर से लोन भी दे दिया जाता है।

ज्यादातर ग्रामीण महिलाएं हैं। टारगेट पूरा करने के चक्कर में बैंक दलालों के भरोसे पर ही लेन-देन कर देते हैं। हालांकि लोन देने वालों के पुख्ता पेपर अपने पास रख रहे हैं, लेकिन इस बात का वे सुनिश्चित नहीं कर रहे हैं कि दी जा रही रकम क्या वाकई में महिला समूह या महिलाएं इस्तेमाल कर रही हैं।

जांच हुई तो खुलेंगे कई चौंकाने वाले मामले

पंजीकृत महिला समूह को बहुत ही कम ब्याज दर पर अधिकृत बैंक आसानी से लोन उपलब्ध करा रहे हैं। इन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि आखिरकार निजी बैंकों से कर्ज उठाने वाली ये 16 हजार महिलाएं कौन हैं। मामले की जांच हुई तो कई चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आ सकते हैं।