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भारतीय छात्रों के लिए बढ़ी मुश्किलें, फास्ट-ट्रैक वीजा किया गया समाप्त, अब महीनों में मिलेगा…

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भारतीय छात्रों को कनाडा में पढ़ाई करने का सपना पूरा करने में अब और मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। कनाडा सरकार ने 2018 से लागू किए गए ‘स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम’ (SDS) प्रोग्राम को बंद करने का ऐलान किया है, इसके चलते अब अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए फास्ट-ट्रैक वीजा अध्ययन परमिट प्रक्रिया समाप्त हो गई है। इससे छात्रों को तेज़ी से वीजा मिलने में मदद मिलती थी। पहले जहाँ स्टडी वीजा की प्रक्रिया 6 हफ्तों में पूरी हो जाती थी, अब इसमें कई महीने लग सकते हैं।

इस फैसले से भारतीयों समेत 14 देशों के छात्रों को बड़ा झटका लगा है। खासकर पंजाब राज्य के करीब 50,000 छात्रों को इससे परेशानी हो सकती है, जो पहले इस प्रोग्राम के तहत कनाडा जा रहे थे। 2022 में कनाडा पढ़ने गए 80% भारतीयों ने इस प्रोग्राम के जरिए वीजा हासिल किया था।

वीजा प्रक्रिया में आएंगे बदलाव

अब छात्रों को स्टडी वीजा के लिए स्टैंडर्ड एप्लिकेशन प्रोसेस के तहत आवेदन करना होगा, जिसमें 4 से 6 महीने या उससे अधिक का समय लग सकता है। इसके अलावा वीजा रिजेक्शन की संभावना भी बढ़ सकती है। SDS प्रोग्राम के तहत रिजेक्शन रेट 10% से भी कम था, जबकि सामान्य प्रक्रिया में यह 25% तक हो सकता है।

SDS प्रोग्राम को बंद करने के पीछे कारण

कनाडा सरकार का कहना है कि सभी छात्रों के लिए समान अवसर देने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है। SDS प्रोग्राम एक फास्ट-ट्रैक वीजा प्रोसेस था, जिससे छात्रों को सिर्फ 20 दिनों में वीजा मिल जाता था, लेकिन अब सरकार ने आवास की कमी और बढ़ती अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या को देखते हुए इस पर रोक लगाने का निर्णय लिया है।

सरकार ने 2025 तक 4,37,000 नए स्टडी परमिट की सीमा तय की है, जो कि पोस्ट ग्रेजुएशन और अन्य प्रोग्राम्स को भी कवर करेगी। आने वाले समय में वीजा प्रोसेस और भी सख्त होने की संभावना है।

कनाडा के प्रधानमंत्री का खालिस्तान मुद्दे पर बयान

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 8 नवंबर को यह स्वीकार किया कि कनाडा में खालिस्तान समर्थक मौजूद हैं। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि ये लोग पूरे सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते। उन्होंने यह भी कहा कि कनाडा में कई हिंदू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करते हैं, लेकिन वे भी पूरे कनाडाई हिंदू समाज का प्रतिनिधित्व नहीं करते। ट्रूडो के इस बयान से भारत के उन आरोपों को बल मिला है कि कनाडा सरकार खालिस्तानी समर्थकों को संरक्षण दे रही है।